इंदौर जू में तेंदुए के शावकों की मस्ती का VIDEO: चार दिन से लगातार हालत में सुधार, जंगल का माहौल देकर सिखाएंगे शिकार

इंदौर22 मिनट पहले

इंदौर के कमला नेहरू जू में धार से रेस्क्यू कर लाए गए तेंदुए के दो नन्हे शावकों की अठखेलियों से यहां रौनक बढ़ गई है। दोनों ही शावकों के गुर्राने की आवाज दिनभर गूंजती रहती है। तेज बारिश के चलते दोनों शावक चार दिन पहले मां से बिछड़ गए थे। इन्हें पहले धार वन रेंज के ताना गांव फिर इंदौर जू में लाया गया। यहां उनकी देखभाल की जा रही हैं। अब उन्हें जंगल का माहौल देकर शिकार करना सिखाया जाएगा।

जू क्यूरेटर निहार पारूलेकर ने बताया कि दोनों ही शावकों की हालात में अब काफी सुधार है। पहले ड्रापर से दोनों को दूध पिलाना पड़ रहा था, लेकिन अब जैसे ही मिल्क फीडिंग के लिए बॉटल लगाते हैं, तो दोनों खुद ही निप्पल से दूध पी लेते हैं। दोनों ही फीडिंग के लिए खुद ही आवाज लगाने लगते हैं। दूध की बॉटल देख कर दोनों उठकर एक्टिव हो जाते हैं और मस्ती करना शुरू कर देते हैं।

दोनों ही एक-दूसरे की नकल उतार गुर्राते हैं।

दोनों ही एक-दूसरे की नकल उतार गुर्राते हैं।

वजन भी बढ़ा, 280 ग्राम के थे, अब 600 ग्राम के

पारूलेकर ने बताया कि दोनों का चिड़ियाघर आने के बाद लगभग 200 ग्राम वजन बढ़ा है। जब इन्हें धार से रेस्क्यू करके रात में इंदौर लाए थे, तब एक शावक 280 ग्राम और दूसरा शावक 310 ग्राम का था। लेकिन पिछले तीन दिन में अब एक शावक 520 ग्राम और दूसरा शावक 560 ग्राम का हो गया है। वहीं दोनों की एक्टिविटी को देखें तो ऐसा लग रहा है कि जल्दी ही दोनों सेल्फ फीडिंग शुरू कर देंगे।

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दोनों ही शावक सोकर उठते ही मस्ती करना शुरू कर देते हैं।

दोनों ही शावक सोकर उठते ही मस्ती करना शुरू कर देते हैं।

एक फीडिंग में 25 एमएल दूध पी रहे

जू प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि शावकों को सोकर उठते ही भूख लगती है। फीडिंग के लिए चिल्लाने लगते हैं। उन्हें पहले 3 से 5 एमएल दूध पी लाया जा रहा था। लेकिन उनकी एक्टिविटी को देखते हुए अब एक फीडिंग में ही 25 एमएल दूध पिलाया जा रहा है। दोनों को ही दिन में 6 बार फीडिंग कराई जाती है। पहली बार सुबह 7.30 बजे। इसके बाद 10.30 बजे, 1.30 बजे, 4.30 बजे, 7.30 बजे और आखिरी फीडिंग रात 10.30 से 11 के बीच में की जाती है।

शावकों को 8 से 9 माह तक जू में रखा जाएगा।

शावकों को 8 से 9 माह तक जू में रखा जाएगा।

जंगली माहौल में ही पाला जाएगा दोनों को

जू अधिकारियों का कहना है कि शावकों को 2 से 3 माह तक दूध ही पिलाया जाएगा। 3 माह बाद उनके रूटीन में बदलाव किया जाएगा। 3 माह बाद नरम मीट और कीमा खिलाना शुरू किया जाएगा। शावक सिर्फ 10 दिन के हैं, इसलिए उन्हें 8 से 9 माह तक जू में रखा जाएगा। इस दौरान उन्हें चिड़ियाघर में ही जंगल का माहौल देने के साथ ही शिकार करना सिखाया जाएगा। 4 माह बाद शिकार करना शुरू करेंगे।

रविवार को इंदौर जू में जन्में सफेद, पीले और काले कलर के बाघ।

रविवार को इंदौर जू में जन्में सफेद, पीले और काले कलर के बाघ।

इधर, सफेद बाघिन रख रही तीनों शावकों का ख्याल

तीन शावकों को जन्म देने वाली सफेद बाघिन रागिनी दिनभर उनकी देखभाल कर रही है। तीनों शावक और रागिनी स्वस्थ हैं। रविवार को चिड़ियाघर में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था। एक शावक तीन रंग (सफेद, पीला और काला) का है। चिड़ियाघर प्रबंधन ने बताया कि वह शावकों का ध्यान रख रही है। हम उन्हें परेशान नहीं करना चाहते हैं, इसलिए दूर से नजर रखी जा रही है।

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