भोपाल33 मिनट पहले
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्री के Zoo ‘ग्रींस जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ जामनगर (गुजरात) में अब भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क का ‘पंचम’ बाघ चार चांद लगाएगा। दुनिया के सबसे बड़े चिड़ियाघर में दर्शक ‘पंचम’ के दीदार कर सकेंगे। सेंटर की टीम उसे मंगलवार को जामनगर लेकर रवाना हुई। करीब 19 महीने पहले पेंच टाइगर रिजर्व में दूसरे टाइगर से भिड़ंत में ‘पंचम’ जख्मी हो गया था। बाद में कान्हा रिजर्व के इनक्लोजर को तोड़ने के प्रयास में उसके दांत टूट गए थे। दो साल से वह वन विहार में ही था।
शिकार नहीं कर पाने के कारण टाइगर को जंगल में नहीं छोड़ा जा रहा था, लेकिन हाव-भाव आक्रामक होने और कद-काठी में ठीक होने से ग्रींस जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की टीम ने उसे पंसद कर लिया। टीम कई दिन से वन विहार में डेरा डाले हुए थी। इसके बाद मंगलवार को उसे विशेष कंटेनर में जामनगर ले जाया गया है। 24 घंटे में वह सेंटर में पहुंच जाएगा। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अंकुश दुबे एवं अक्षय शाह की देखरेख में टाइगर को रवाना किया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक मध्यप्रदेश और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की परमिशन के बाद मध्यप्रदेश से अंबानी के पार्क को एक बाघ और 3 तेंदुए दिए जा रहे हैं। इसके चलते ही ‘पंचम’ को सौंपा गया है।
वन विहार से पिंजरे में बाघ को गुजरात ले जाया गया।
वन विहार में ऐसे आया था ‘पंचम’दिसंबर 2020 में कान्हा टाइगर रिजर्व से टाइगर को वन विहार में लाया गया था। पार्क मैनेजमेंट ने ही उसे ‘पंचम’ नाम दिया था। तब उसकी उम्र 3 साल 6 माह थी। शुरुआत में उसका व्यवहार काफी आक्रामक था। इसलिए उसे विशेष बाड़े में रखा गया था।
पेंच टाइगर रिजर्व में भिड़ा था दूसरे टाइगर से’पंचम’ पेंच टाइगर रिजर्व का था। जहां वह एक अन्य बाघ से भिड़ गया था। इस कारण वह गंभीर जख्मी हुआ था। जिसे कान्हा टाइगर रिजर्व में रखा जा रहा था। वहां भी वह घायल हुआ है। बाघ इनक्लोजर को तोड़ने का प्रयास कर रहा था, इसलिए उसके दांत टूट गए थे। इस कारण वह शिकार भी नहीं कर पा रहा था।
विशेष वाहन में बाघ को वन विहार से जामनगर गुजरात ले जाया गया है।
अब 13 टाइगर बचे’पंचम’ के जाने के बाद अब वन विहार में 13 टाइगर शेष बचे हैं।
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