मंदसौरएक घंटा पहले
कॉपी लिंक
किसी कुल या जाति में जन्म लेने मात्र से भेदभाव करना साक्षात परमात्मा का अपमान करने के समान है। जन्म के समय किसी के सिर पर जाति और रंग नहीं लिखा होता है। सबकी नसों में लाल खून और शारीरिक रचना भी समान होती है। मानव जाति से नहीं कर्म से महान होता है। यह विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर प्रवचन हाल में ओसवाल स्थापना दिवस पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
संतश्री ने कहा कि अगर कोई ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी हल्का काम करें तो वो नीच है, और सामान्य कुल में जन्म लेकर भी समाज हित में काम करे तो महान है। मुनि कमलेश ने बताया कि रंग जाति वर्ण के आधार पर छुआछूत करना मानवता पर कलंक और शर्मनाक है। जन्म से कोई ब्राह्मण, वैश्य, शूद्र नहीं होता है। जो सच्चे मन से प्रभु की सेवा ओर भक्ति करते तो ब्राह्मण, व्यापार करे तो वणिक ओर खुद की सफाई करी तब शुद्र, रक्षा करे तो क्षत्रिय चारों वर्ण आपमें विद्यमान है।
उन्होंने कहा किसी की उपासना करने का सबको समान अधिकार है। आज वर्ण व्यवस्था अभिशाप बनती जा रही है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी छुआछूत होना दुर्भाग्यपूर्ण है। मानव मात्र में साक्षात परमात्मा का दर्शन करने वाला ही धार्मिक है। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा गुजरात राजकोट उपाध्यक्ष सोनल जैन ने मास खमण तपस्या की भेंट करके अनुपम गुरु भक्ति का परिचय दिया। तपस्वी घनश्याम मुनि जी की 18 उपवास, सेवक भेरु के 13 उपवास की तपस्या चल रही है। धर्मसभा में शशि मारू, रिंकू खटोड़, चंदा मारु, शिखा दुग्गड़, सोनल बहन का संघ की ओर से सोनल जैन का स्वागत किया। गौतम मुनि जी ने मंगलाचरण किया।
खबरें और भी हैं…