कपिल मिश्रा (शिवपुरी)38 मिनट पहले
मध्यप्रदेश का शिवपुरी जिला अब दुनिया के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान के साथ नजर आएगा। कारण, शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क स्थित सांख्य सागर झील को रामसर साइट में शाामिल कर लिया गया है। इन्वायर्नमेंटल प्लानिंग एंड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गेनाइजेशन एप्को ने इसकी पुष्टि कर दी है।
गौरतलब है कि पूरे मध्यप्रदेश से रामसर साइट के लिए तीन नामों को प्रस्तावित किया गया था, जिसमें से कई चुनौतियों को पार करते हुए सांख्य सागर झील ही मानकों पर खरी उतर सकी। सांख्य सागर झील के साथ इंदौर के यशवंत सागर और सिरपुर सागर तालाब का नाम भी केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रस्तावित किया था। एप्को की टीम पिछले साल अक्टूबर में नेशनल पार्क आई थी।
एप्को के वैज्ञानिकों के निरीक्षण के बाद जब प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया तो इस पर लगातर क्वेरी आईं, जिनमें माधव नेशनल पार्क की टीम प्रदेश की अन्य साइट से आगे निकल गई। अब शिवपुरी जिले को इससे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और पर्यटन बढ़ेगा। इससे पहले भोपाल के भोज ताल एक मात्र ऐसी झील थी, जिसे यह दर्जा प्राप्त था। ऐसे में अब सांख्य सागर झील मध्यप्रदेश की दूसरी ऐसी झील बन चुकी है, जिसे रामसर साइट में जोड़ा गया है। अब सांख्य सागर में मौजूद मगरमच्छों को यहां का ब्रांड एंबेसडर बनाया जा सकता है।
पर्यटन क्षेत्र में होगा इजाफामाधव नेशनल पार्क को रामसर साइट के साथ टाइगर मिलने के बाद यहां टूरिज्म बढ़ेगा। खासतौर पर यह विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर सकेगा। इसके लिए प्रबंधन पार्क में स्टे की सुविधाओं को बेहतर करने के साथ मनोरंजन और आकर्षण के अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। जल्द ही नेशनल पार्क में नाइट स्टे के लिए कैंपिंग की सुविधा शुरू करने पर काम किया जा रहा है। इसके तहत यहां पर सेमी लग्जरी टेंट लगाए जाएंगे, जिसमें सैलानी रात गुजार सकेंगे। पिछले एक दशक में यहां पर विदेशी सैलानियों की संख्या अन्य राष्ट्रीय उद्यानों की तुलना में काफी कम रही है, लेकिन रामसर वेटलैंड बनने और टाइगर आने के बाद इसमें इजाफा होगा जिसका लाभ पूरे शहर को मिलेगा।
देश में हैं 46 रामसर साइटरामसर स्थल वह आर्द्र भूमियां हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त है। 1971 में ईरान के रामसर शहर में विश्व की आर्द्र भूमियों के स्थाई उपयोग व संरक्षण के लिए यूनेस्को के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि 1975 से अस्तित्व में आई। इसे रामसर संधि भी कहा जाता है। इसकी सूची में विश्व की प्रमुख वेटलैंड्स को शामिल किया गया है। वर्तमान में भारत में इनकी संख्या 46 है। सरकार का लक्ष्य इसे 75 तक ले जाना है, जिससे देश में अधिक विदेशी पर्यटक आएं। पूरे विश्व में करीब 7 हजार रामसर साइट हैं।
भोजताल के बाद यह दूसरी रामसर साइटमप्र में सिर्फ भोपाल का भोजताल इस सूची में पहले शामिल था। बायोडायवर्सिटी के कारण भोज वेटलैंड को 2002 में रामसार साइट का दर्जा मिला था। 2005 की सेप्ट रिपोर्ट के अनुसार यहां जलीय जीव, जंतु और पौधों आदि को गिना जाए तो उनकी संख्या 805 होती है। अब इस लिस्ट में सांख्य सागर झील का नाम भी शामिल हाे गया है।
क्या होता है वेटलैंडयह ऐसा भू-भाग होता है, जहां हर समय पानी रहता है। इसमें पक्षियों का बसेरा रहता है और जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है। 2 फरवरी 1971 में जलीय जीवों और पक्षियों के संरक्षण के लिए ईरान के रामसर शहर में रामसर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए थे।
इन्हें भी रामसर साइट का दर्जा दिलाने की कवायद
गांधी सागर- वाइल्डलाइफ सेंचुअरीरातापानी तालाब – रातापानी सेंचुअरीतवा डैम- सतपुड़ा नेशनल पार्कसिरपुर तालाब – इंदौरयशवंत सागर – इंदौरबारना डैम-हलाली डैम-खबरें और भी हैं…