प्रिंसेस पैराडाइज को जमींदोज करना पड़ा भारी: प्रशासन 1.29 करोड़ रु. का हर्जाना दें; 22 साल पहले डायनामाइट से ध्वस्त की थी मल्टी

इंदौरएक घंटा पहले

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22 साल पहले मनोरमागंज क्षेत्र में प्रिंसेस पैराडाइज मल्टी को अवैध बताकर डाइनामाइट से जमींदोज करने के मामले में जिला कोर्ट ने प्रशासन को 1.29 करोड़ रु. हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह मामला तब काफी चर्चाओं में था तथा इसे लेकर संबंधित पक्ष ने कोर्ट की शरण ली थी।

मामला 23 जून 2000 का है। मनोरमागंज में 2.48 एकड़ में फैली यह जमीन सिटी इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बोर्ड की थी। 1932 में यह जमीन टीएन भार्गव को ट्रांसफर की गई थी। जिस पर उनके परिवार के लोग काबिज थे। उक्त जमीन पर निर्मित प्रिंसेस पैराडाइज को प्रशासन ने अवैध बताते हुए डाइनामाइट से ध्वस्त कर दिया था। खास बात यह कि तब भार्गव परिवार की बातों को प्रशासन ने अनसुना कर दिया था। दरअसल इस बिल्डिंग के मामले में भार्गव परिवार ने स्टे ऑर्डर ले रखा था, लेकिन प्रशासन ने नियम-कायदों को ताक पर रख दिया था।

मामले में भार्गव परिवार ने एडवोकेट कैलाश अग्रवाल के माध्यम से जिला कोर्ट में दीवानी केस लगाकर 1.29 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा था। इसमें भार्गव परिवार की ओर से तर्क रखा गया कि बिल्डिंग को नगर निगम द्वारा मंजूरी दी गई थी और निर्माण में सवा करोड़ रुपए की लागत आई थी। इस दौरान समय-समय पर सभी विभागों को टैक्स का भुगतान भी किया जाता रहा। मामले में कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रशासन पीड़ित पक्ष को 1.29 करोड़ रुपए तथा इस राशि पर मल्टी तोड़ने की तारीख से 6 प्रतिशत की दर से करीब पौने दो करोड़ रुपए अदा करें।

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