खंडवा में 3 सगी बहनों की जान गेहूं ने ली: एसपी बोले- ऑडियो रिकार्ड में गेहूं का विवाद, परिजन बोले- घर में दो कोठीयां भरी, उन पर कभी ताला न लगा


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सावन राजपूत। खंडवाएक मिनट पहले

फांसी लगाकर जान देने वाली तीन सगी बहनें।

खंडवा में तीन सगी आदिवासी बहनों की एक साथ आत्महत्या के मामले में पुलिस ने ऑडियो साक्ष्य के आधार पर खुलासा किया है। बताया गया कि पारिवारिक विवाद में तीनों बहनों और उसके भाई की पत्नी में अनबन थी। जिस रात मौत को गले लगाया उस दिन गेहूं की बात पर विवाद हुआ। एक ही घर में भाई-भाभी और मां-बहनों का अलग-अलग चूल्हा जलता था। मृतिकाओं ने अपनी दो बड़ी बहनों को जिरोती पर घर आने का निमंत्रण दिया था, त्योहार पर पुड़ी बनाने के लिए अपनी भाभी से गेहूं मांगे तो उन्होंने नहीं दिए, विवाद बढ़ा तो बहनों ने आत्महत्या का कदम उठा लिया।

इधर, कहानी में नया मोड आया है, जब पुलिस ने तीन सगी बहनों की आत्महत्या की वजह गेहूं के आटे से लेकर पिता की मृत्यु का सदमा और एक बहन के पति का शराबी होना कारण बताया। भास्कर ने पड़ताल की तो कोठाघाट निवासी मृतिकाओं के परिजन ने यह बात मानने तक से इंकार कर दी। उनकी मां का कहना था कि भाई और भाभी अपनी बहनों के लिए पूरी तरह समर्पित थे। उनकी पढ़ाई से लेकर रहन-सहन, खाने-पीने का अच्छे से ख्याल रखा जाता था। आसपास बाजार घूमने के लिए भाई भूरू ने अपनी बाइक तक दे रखी थी। भाभी राधा तो अपने हाथों से खाना देती थी। रही बात गेहूं की तो इस सीजन में 100 क्विंटल गेहूं की पैदावार हुई थी। 70 क्विंटल गेहूं बेच दिए, वहीं बाकी का घर में स्टॉक रखा हुआ है। गेहूं की कोठी पर कभी ताला नहीं लगाया गया।

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पिता की मौत का सदमा 4 साल तक कैसे?

पुलिस ने तीनों बहनों के सुसाइड मामले में दूसरी वजह पिता की मौत का सदमा बताया है। इधर, ग्रामीण व परिवार वाले बताते है कि, उनके पिता की मृत्यु को 4 साल हो गए है। उसके बाद से मृतिका सोनू ने सिंगोट के बाद खंडवा कॉलेज में पढ़ाई की। यदि सदमा रहता तो 4 साल तक किस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी का सफर तय किया। तीन बहनों में एक की तो शादी हो चुकी थी। वह कुछ दिन पहले ही मायके आई थी। बड़ी बहन सोनू तो अगले दिन कॉलेज की पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रहने जाने वाली थी। और सबसे छोटी बहन ने पढ़ाई छोड़ दी थी और घर पर रहकर ही मजदूरी करती थी। पुलिस की कहानी पूरी तरह पेंचिदा है।

रस्सी एक दिन पहले खरीदी थी, विवाद अगले दिन

पुलिस का मानना है कि फांसी लगने वाली रस्सी तीनों बहनों ने सिंगोट के हाट बाजार से खरीदी थी। सिंगोट हाट बाजार सोमवार को लगता है। उस दिन बहने बाजार जाकर रस्सी लाई थी। मंगलवार की रात परिवार में विवाद हुआ और उन्होंने सुसाइड किया। जबकि तात्कालिक विवाद में सुसाइड होना माना जा रहा है तो रस्सी एक दिन पहले ही खरीदना कहानी से परे है।

आखिर, पुलिस तो यहीं वजह मानकर चल रही

26 जुलाई की रात कोठाघाट निवासी तीन बहनें सोनू, छोटी बहन सावित्री व ललिता ने नीम के पेड़ पर एकसाथ फांसी लगा ली थी। एसपी विवेक सिंह ने बताया कि सोनू ने जीजा वीरू व बड़े भाई कालू को वाट्सएप पर वाइस मैसेज भेजकर बताया बताया कि भूरू की पत्नी राधा उन्हें पुड़ी बनाने के लिए गेहूं नहीं दे रही। हमारे बैल से भूरू खेती करता है। खेत भी जोतता है। राधा झगड़ा करती है तो वह कुछ नहीं बोलता। सावित्री का तीन माह पहले ही खारकड़ी गांव के दीपक से विवाह हुआ था। दीपक शराब पीता था। इससे सावित्री दु:खी थी। परेशानियां बढ़ने लगी थी लेकिन बहनें उसका हल नहीं निकाल पा रही थी।

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