Hindi NewsLocalMpIndoreTrial Will Resume In MGM, Fake Sign Appointment Case, It Took 10 Years To Check Handwriting; The Truth Will Come Out In September
इंदौर8 मिनट पहले
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हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट पेश होने के बाद सितंबर में सुनवाई के आदेश दिए
जब भी कोई नियुक्ति की जाती है तो नियुक्ति पत्र की सात प्रतियों पर डीन के साइन होते हैंडॉ. संजय दीक्षित की अध्यक्षता वाली समिति ने इसकी जांच की थी
एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े 10 साल पुराने भर्ती घोटाले में जिला कोर्ट में एक बार फिर ट्रायल शुरू होगा। इस मामले में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट पेश होने के बाद सितंबर में सुनवाई के आदेश दिए हैं। इसमें तत्कालीन जांच समिति के अध्यक्ष और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के बयान होंगे, जिससे स्पष्ट हो सकेगा कि हैंडराइटिंग किसकी है?
फाइनल हस्ताक्षर डीन के रहते हैं
सारा दारोमदार हैंडराइटिंग रिपोर्ट पर टिका था, क्योंकि एक कर्मचारी अकेले कैसे चयन समिति की फाइल को साइड लाइन करते हुए नए लोगों को नियुक्ति पत्र जारी कर सकता था। जब भी कोई नियुक्ति की जाती है तो नियुक्ति पत्र की सात प्रतियों पर डीन के साइन होते हैं। सूची से नामों का मिलान किया जाता है। यह काम आमतौर पर स्थापना शाखा प्रभारी ही करते है। उसके बाद डीन की साइन ली जाती है। डॉ. वर्मा के बाद डॉ. एमके राठौर ने डीन का प्रभार संभाला। डॉ. संजय दीक्षित की अध्यक्षता वाली समिति ने इसकी जांच की थी। उनके अब तक बयान नहीं हो सके हैं। वहीं कॉलेज की ओर से डॉ. एके पंचोनिया शिकायतकर्ता थे। डॉ. पंचोनिया के बयान भी लिए जा चुके हैं।
ऐसी नियुक्तियां, जिन्होंने आवेदन तक नहीं किया
वर्ष 2012 में मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे, जिन्होंने नौकरी के लिए आवेदन तक नहीं किया था। जिन लोगों का चयन हुआ, उन्हें लेटर डिस्पैच तक नहीं किए गए। मामले में जांच की गई थी तब फाइल गायब मिली थी। मामला पुलिस को सौंपा गया। मामले में तत्कालीन डीन डॉ. पुष्पा वर्मा ने पुलिस को दिए बयान में साइन उनकी होने से इनकार कर दिया था। तब संयोगितागंज थाना स्थापना प्रभारी ने डॉ. वर्मा की हैंडराइटिंग के सैंपल लिए थे। स्थापना शाखा बाबू एचएस पारेख की हैंडराइटिंग के सैंपल भी लिए गए थे। हालांकि पारेख पर बर्खास्तगी की कार्रवाई शासन कर चुका है। उनकी पेंशन भी रोक दी गई।
आरोपी, जिन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए
इस पूरे मामले में जिन लोगों को फर्जी तरह से नियुक्ति पत्र जारी किए थे, उन सभी को आरोपी बनाया गया है। आरोपियों में दीपक सिंह, दुर्गा, राजू, राहुल, पलक, तुषार, शिवशंकर, दुलीचंद्र, देवेश, रूपेश, दिनेश व हरिशंकर शामिल हैं।
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