देवास29 मिनट पहले
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देवास जिले में जिला पंचायत व जनपद चुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। जिले में जिला पंचायत में भाजपा कांग्रेस से 1-0 से व जनपद पंचायत चुनावों में 5-1 से पिछड़ गई। जिले की 6 जनपद पंचायतों में से 5 पर कांग्रेस पहले से ही अपने जनपद अध्यक्ष बनाने का दावा कर रही थी। जिला पंचायत में भी कांग्रेस के पास 18 वार्ड में 10 अधिकृत लोग जीत दर्ज कर चुके थे जबकि एक कांग्रेस समर्थित की जीत हुई थी। कांग्रेस के पास पहले से बहुमत था इसके परे भाजपा के पास बहुमत नहीं होने के बाद भी वह अंत तक भाजपा के अध्यक्ष बनाने का दावा करती रही। यहीं आत्म विश्वास ही भाजपा को ले डूबा। कांग्रेस ने देवास, बागली, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, खातेगांव में जीत हासिल की है जबकि कन्नौद में निर्दलीय की जीत हुई जिसे भाजपा ने अपना अधिकृत प्रत्याशी बताया है।
जिला पंचायत देवास -18कांग्रेस समर्थित को वोट-11भाजपा समर्थित को वोट-6निरस्त -1
जिला पंचायत देवास में कांग्रेस से अधिकृत रुप से 10 प्रत्याशी जीते, सभी एक जूट होकर लड़े अंत समय तक पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के संपर्क में रहे। सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत के जीते हुए प्रत्याशियों के मोबाइल भी कांग्रेस के बड़े नेताओं के कहने पर बंद रखे गए जिससे भाजपा के लोग उनसे संपर्क भी नहीं कर पाए। कुछ दिनों तक शहर से बाहर भी रहे। इधर भाजपा के अधिकृत रुप से 3 सदस्य ही जीते 3 भाजपा समर्थित व एक निर्दलीय की जीत हुई। कांग्रेस का पक्ष से पहले से ही मजबूत हो गया था। रणनीति के चलते यहां अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों पद कांग्रेस की झोली में चले गए।
जनपद देवास – 25कांग्रेस समर्थित को वोट- 13भाजपा समर्थित को वोट-12
भारतीय जनता पार्टी के नेता भाजपा का जनपद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अंत तक बनाने की बात करते रहे यहां बहुमत भी भाजपा के पास था। लेकिन अंत समय में कांग्रेस ने देवास जनपद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर सेंधमारी करते हुए अपना कब्जा जमा लिया। भाजपा के लोग अपने पाले में अधिकृत सदस्य व समर्थित सहित करीब 15 सदस्य लेकर चल रहे थे लेकिन अंत समय में तीन सदस्यों ने कांग्रेस के पक्ष में क्रास वोटिंग कर दी जिससे कांग्रेस जनपद अध्यक्ष रामकला मुकेश पटेल और उपाध्यक्ष के पद पर कला बाई 1-1 वोट से जीत गई। सूत्रों के अनुसार यहां जिलाध्यक्ष व हाटपीपल्या के विधायक मनोज चौधरी का ग्राफ गिराने के लिए कुछ भाजपा नेताओं ने क्रास वोटिंग करवाई। यहां भाजपा का मैनेजमेंट बुरी तरह फैल हो गया।
बागली – 24कांग्रेस समर्थित को वोट- 14भाजपा समर्थित को वोट-9जिले के बागली जनपद पर कांग्रेस के अध्यक्ष पारुबाई व उपाध्यक्ष रामेश्वर गुर्जर के रुप में बन गए। यहां भाजपा विधायक पहाड़सिंह से टिकट वितरण के समय से भाजपा के लोग नाराज थे। इधर कांग्रेस ने यहां भी ग्रामीण नेताओं के साथ प्रमुखता से चुनाव लड़ा और अंत तक डटे रहे।
सोनकच्छ – 20कांग्रेस समर्थित को वोट- 13भाजपा समर्थित को वोट-6यहां पूर्व मंत्री व विधायक सज्जनसिंह वर्मा का जादू चला सोनकच्छ जनपद पंचायत पद पर पूर्व मंत्री के खास पीसीसी सदस्य सूरजसिंह ठाकुर कांग्रेस अध्यक्ष बने। यहां 20 से 13 वोट कांग्रेस ने अपने नाम कर लिए। जबकि एक वोट डाला नहीं गया। सूत्रों के अनुसार पुरानी अंर्तकलह के कारण यहां भाजपा के एक नेता के कारण पुरा खेल बिगड़ गया। भाजपा यहां बिखरी हुई नजर आई। लेकिन उपाध्यक्ष कृष्णा बाई मदन धाकड़ के रुप में अपना बना पाई। यहां भाजपा के पूर्व विधायक राजेन्द्र वर्मा व कई अन्य नेता अपना जलवा नहीं दिखा पाए।
टोंकखुर्द -20कांग्रेस समर्थित को वोट- 13भाजपा समर्थित को वोट-7जनपद पंचायत अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के प्रत्याशी पोपसिंह ने 20 में से 13 मत प्राप्त कर भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह गौड़ को पराजित किया। जनपद उपाध्यक्ष के पद हेतु निर्धारित अवधि तक कांग्रेस की ओर से एकमात्र नामांकन पूजा पति रोहित चांदना सम्मसखेड़ी का आने पर उन्हें निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। यहां कांग्रेस ने पहले से अपना अध्यक्ष बनाने का दावा कर दिया था जो सफल रहा।
खातेगांव – 23कांग्रेस समर्थित को वोट- 12भाजपा समर्थित को वोट-11खातेगांव में कांग्रेस की जीत से भाजपा विधायक आशीष शर्मा का भी ग्राफ नीचे गिर गया। यहां कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी सलिता को भाजपा की ललिता गंगाप्रसाद तिलवारे से 1 वोट अधिक मिला। वहीं मनीष पटेल जामनेर को निर्विरोध जनपद उपाध्यक्ष चुना गया इस प्रकार खातेगांव जनपद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों ही पदों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया।
कन्नौद -25निर्विरोध भाजपा की जीतकन्नौद में पहले तो निर्विरोध की जीत हुई उसके बाद भाजपा ने जनपद अध्यक्ष पद को भाजपा समर्थित बताया यहां सावित्री रेवाराम की जीत हुई जबकि कांग्रेस से उपाध्यक्ष पद पर रमजान खान विजयी हुए। यहां भाजपा ने निर्दलीय को अपने पाले में लेकर अपनी साख बचाई। यहां कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान ही नहीं उतारा था।
भाजपा की हार के प्रमुख कारण
1-टिकट वितरण में भाजपा विधायकों की मनमानी ज्यादा चली। 2-विधायक अपने समर्थकों के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत नहीं करपाए। 3-ग्रामीण क्षेत्रों में अंर्तकलह देखने को मिली, बागली विधायक पहाड़सिंह कनौजे की विधानसभा में टिकट वितरण से नाराज लोगों ने पूर्व में सामुहिक इस्तीफा दिया। 4-भाजपा का मैनेजमेंट काम नहीं आया। 5-अंर्तकलह व अतिआत्मविश्वास भाजपा को ले डूबा। 6-कांग्रेस ने एकजूट होकर दबंगता से चुनाव लड़े, परिणाम आने तक एक जैसे बयान दिए। 7-भाजपा में कुछ बड़े नेताओं के अहमपन के कारण पार्टी को काफी नुकसान हुआ।
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