स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोटोकॉल: स्कूल ट्रांसपोर्टेशन पर 18 बिंदुओं पर एसओपी जारी, पुलिस ने लिखा-स्कूल बस ड्राइवर ने ओवर स्पीडिंग की या नशे में बस चलाई तो उसे हटाएं

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भोपाल11 मिनट पहले

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फाइल फोटो

जनवरी से अब तक 45 स्कूल वाहनों पर हुई कार्रवाई, 21 को भरना पड़ा 2.56 लाख जुर्माना, बाकी 24 वाहन चालकों से वसूले गए 12 हजारपुलिस ने संबंधित एजेंसियों को भी इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई के लिए लिखा

बच्चों को स्कूल आवागमन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर भोपाल ट्रैफिक पुलिस ने 18 बिंदुओं की स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोटोकॉल (एसओपी) जारी की है। ये एसओपी सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देश के आधार पर तैयार की गई है। इसमें जिक्र है कि बच्चों की सुरक्षा का मसला केवल स्कूल परिसर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके ट्रांसपोर्टेशन के साधनों पर भी है।

पुलिस ने संबंधित एजेंसियों को भी इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई के लिए लिखा है। एक जनवरी से अब तक 45 स्कूल वाहनों पर ओवरलोडिंग, बिना परमिट, बिना फिटनेस, बिना अग्निशमन यंत्र की कार्रवाई की है। इस दौरान 21 वाहनों को अदालत भेजा गया, जिनसे 2,56,000 रुपए का जुर्माना लिया गया। बाकी 24 वाहनों से 12000 रुपए समन शुल्क जमा करवाया गया है।

रों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि

स्कूल/कॉलेज बसों को पीले रंग से पेंट किया जाना चाहिए।बसों के आगे-पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि बस किराए की है तो उस पर आगे-पीछे विद्यालयीन सेवा स्कूल बस लिखा जाए।स्कूल-कॉलेज के लिए इस्तेमाल होने वाली बसों में ओवरलोडिंग न हो।हर बस में अनिवार्य रूप से फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था हो।बस की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां अनिवार्य रूप से फिट करवाई जाएं।हर बस में अग्नि शमन यंत्र की व्यवस्था हो।बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।बस के दरवाजे पर सुरक्षित सिटकनी लगी हो।बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीट के नीचे जगह होनी चाहिए।सुरक्षा की दृष्टि से लाते-ले जाते समय बस में एक व्यक्ति (एस्कॉर्ट) हों, यदि छात्राएं तो महिला एस्कॉर्ट जरूर हों।सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक को भी बस में यात्रा कर सुरक्षा मापदंडों को जांचना चाहिए।वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।यदि कोई ड्राइवर वर्ष में दो बार से अधिक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन कर चुका है तो उसे ड्राइवर नहीं रखना चाहिए।यदि कोई ड्राइवर वर्ष में एक बार भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे ओवरस्पीड, नशे में वाहन चलाना या खतरनाक तरीके से वाहन चलाने का दोषी पाया जाता है तो उसे हटा देना चाहिए।स्कूल बसों और लोक परिवहन वाहनों में स्पीड गवर्नर होना ही चाहिए।स्कूल बसों में 02 कैमरे चालू स्थिति में हों, जिसमें एक कैमरा आगे की ओर और दूसरा पीछे की ओर होना चाहिए।स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हुआ होना चाहिए।स्कूल बस में सफर करने वाले छात्र-छात्राओं की सूची मय नाम-पता, ब्लड ग्रुप और बस स्टॉप जहां से छात्र-छात्राओं को पिकअप और ड्रॉप करते हैं की सूची चालक अपने पास रखेगा।खबरें और भी हैं…

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