उत्सव के रूप में मनाया आदिवासी दिवस: विश्व आदिवासी दिवस पर जिला मुख्यालय में विशाल महारैली का आयोजन किया गया

सीहोर4 घंटे पहले

कॉपी लिंक

विश्व आदिवासी दिवस को जिला मुख्यालय सीहोर में हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने उत्सव के रूप में मनाया। आदिवासी दिवस का शुभारंभ महारैली के रूप में बाल बिहार मैदान से शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए कोतवाली चौराहा एवं नमक चौराहा होते हुए वापस बाल बिहार पहुंची।

जहां सभा के रूप में परिवर्तित हुई। कार्यक्रम में जिले से पधारे आदिवासी समाज के लोग अपनी संस्कृति, वैशभुषा, तीर कमान एवं अपने वाद्य यंत्र ढोल के साथ शामिल हुए। चल समारोह में पधारे आदिवासी समाज के लोगों का सभी सामाजिक संगठनों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। कार्यक्रम जयस संरक्षक जिला सीहोर रामदास सौलंकी, अतिथि के रूप में राष्ट्रीय बोद्ध महासभा अध्यक्ष कमलेश दोहरे, विशेष अतिथि गुना से पधारे विष्णु बारेला, जिला पंचायत सदस्य विजेन्द्र उईके, जयस के जिलाध्यक्ष रवि सौलंकी, प्रोफेसर ओमप्रकाश धुर्वे, प्रेम सिंह बारेला, भाव सिंह सौलंकी, मुकेश जमरे, राकेश डावर, शुभम कचनारिया सहित बड़ी संख्या समाज जन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता में जयस संरक्षक जिला सीहोर रामदास सौलंकी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों के मानव अधिकार को लागू करने और उनके संरक्षण के लिये 1982 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने आदिवासी संरक्षण के लिये उप आयोग का गठन किया था। इसलिये हम 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाते है। आदिवासी दिवस आदिवासियों को अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण जैसे भाषा, संस्कृति, इतिहास के सरंक्षण के लिये संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा 9 अगस्त 1994 को घोषित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पिछले 22 वर्षों से निरंतर विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जा रहा है किन्तु भारत में मूलनिवासी बहुजनों को इसकी कोई जानकारी नही है। जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने पुन: 16 दिसम्बर 2014 से 15 दिसम्बर 2014 तक दूसरी आदिवासी दिवस घोषित किया।

अतिथि कमलेश दोहरे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज आदिवासी समाज को एक जुट होने की अत्यंत आवश्यकता समाज उत्थान तभी संभव है जब आदिवासी समाज के नागरिक शिक्षित होने के साथ ही एकजुट रहे। क्योंकि एकता में ही शक्ति है।

खबरें और भी हैं…

error: Content is protected !!