Hindi NewsLocalMpSatnaMen Taking Meetings In Satna Near Women, Someone Took The Chair In The Meeting Instead Of Wife Someone Cutting Ribbon Instead Of Sister in law
सतना9 मिनट पहले
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मैहर नगर पालिका में संतोष सोनी,नितिन ताम्रकार
सरकारें और अदालतें भले ही महिलाओं को समानता का अधिकार देने के नाम पर आरक्षण पर मुहरें लगाती जा रही हों, उन्हें राजनैतिक लाभ के रूप में पद भी मिल रहे हों लेकिन महिलाओं के अधिकार पर कुठाराघात अब भी जारी ही हैं।
महिलाओं के हक पर ये डाका कोई और नहीं उनके अपने ही डाल रहे हैं। संवैधानिक संस्थाओं के पदों पर आसीन महिलाओं को वो काम करने ही नही दिए जा रहे हैं जिसके लिए उन्हें निर्वाचित किया गया है। ऐसे ही मामले सतना जिले में भी सामने आए हैं जहां पद महिलाओ के पास हैं लेकिन कुर्सियों पर उनके पति और देवर बैठ रहे हैं।
नगर पालिका मैहर में अध्यक्ष पद पर गीता संतोष सोनी ने जीत हासिल की है जबकि उपाध्यक्ष शीतल नितिन ताम्रकार बनी हैं। लेकिन सोमवार को मैहर नगर पालिका के सभागार में अध्यक्ष की कुर्सी के बाजू में संतोष सोनी और उपाध्यक्ष की चेयर पर नितिन ताम्रकार बैठे नजर आए। इन्होंने ही कर्मचारियों- अधिकारियों की मीटिंग और उनका परिचय कुछ इस अंदाज में लिया जैसे अध्यक्ष – उपाध्यक्ष यही हों और इनके ही दस्तखत से नगर पालिका चलनी हो। हालांकि वहां गीता सोनी भी मौजूद थीं लेकिन शीतल ताम्रकार उपस्थित नही थीं।
कुर्सी की महत्वाकांक्षा ने यह भी भुला दिया कि नगर पालिका परिषद में इनकी हैसियत कुछ भी नही है। पद इनकी पत्नियों के पास है लिहाजा कुर्सी पर बैठने,मीटिंग लेने और आदेश देने के अधिकार उन्हीं के पास है। हैरानी की बात तो यह भी कम नही है कि आखिर नगर पालिका के अधिकारियों ने इन्हें इसकी इजाजत कैसे दी?
मझगवां में भाभी अध्यक्ष, देवर काट रहा रिबन, जमा रहा धौंस
जनपद पंचायत मझगवां में तो बात और एक कदम आगे निकल गई है। यहां जनपद अध्यक्ष रेणुका जायसवाल की जगह उनका देवर निरंजन जायसवाल सरकारी कार्यक्रमो में शिरकत कर रहा है। सोमवार को मझगवां जनपद के झंडा वितरण केंद्र का भी रिबन जनपद पंचायत के सीईओ तथा अन्य अधिकारियों- कर्मचारियों की मौजूदगी में निरंजन जायसवाल ने काटा।
निरंजन जायसवाल जनपद क्या किसी भी पंचायत का पंच भी नही है। हालांकि वह सांसद गणेश सिंह का समर्थक है। यहां भी सवाल यही है कि आखिर सीईओ ने ऐसा कैसे होने दिया?
सूत्र बताते हैं कि भाभी के जनपद पंचायत के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद से ही निरंजन ने सीईओ तथा अन्य अधिकारियों- कर्मचारियों पर दबाव बना कर अध्यक्ष के सारे काम टेक ओवर कर रखे हैं।
इन स्थितियों के बीच सवाल यह है कि क्या सरकारों और अदालतों की महिलाओं को आरक्षण देने के पीछे यही मंशा थी? क्या ऐसे में महिलाओं को समानता का अधिकार मिल सकेगा और वे बराबरी पर खड़ी हो सकेंगी? अगर उनके पति – देवर,पुत्र और भाई – भतीजे उनके अधिकारों पर इसी तरह अतिक्रमण करते रहेंगे तो महिला सशक्तिकरण कैसे होगा? उन्हें राजनैतिक आरक्षण देकर संवैधानिक संस्थाओं पर बैठाने का ऐसे में क्या फायदा? क्या अफसरों को भी संविधान और नियम – कायदों का ख्याल नही है या उन्होंने कुर्ते – पायजामे के सामने घुटने टेक रखे हैं?
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