दिव्यराज सिंह। रतलामएक घंटा पहले
रतलाम की अल्फिया खान गणेश स्तुति से चर्चा में हैं। उन्होंने किशोर दा की स्मृति में हुए प्रोग्राम में डांस परफॉर्मेंस दी थी। 26 साल की अल्फिया प्राइवेट बैंक में मैनेजर हैं। सिंगिंग और डांसिंग का शौक है। वे एक प्रोफेशनल कोरियोग्राफर भी हैं। दैनिक भास्कर से अल्फिया ने खास बात की। उन्होंने बताया कि वे अपनी हर परफॉर्मेंस की शुरुआत सरस्वती वंदना और गणेश स्तुति के साथ करती हैं। संगीत का कोई धर्म नहीं होता। उनकी ख्वाहिश है कि समाज की उन सभी लड़कियों को उनकी पसंद की फील्ड में फ्यूचर बनाने का मौका मिले।
अल्फिया का कहना है कि संगीत एक कला है और कला का कोई धर्म नहीं होता। संगीत के अलंकार की शुरुआत ही मां सरस्वती की वंदना के साथ होती है, जिन्हें हर कलाकार चाहे वह किसी भी धर्म का हो अपनी प्रस्तुति के पूर्व स्मरण जरूर करता है। उनके संगीत के शौक को पूरा करने के लिए माता- पिता ने हमेशा उनकी मदद की है।
कोरोना काल में पिता को खोया, 1 साल तक रहीं संगीत से दूर
अल्फिया खान ने बताया कि उनके पिता मोहम्मद इरफान खान रेलवे से रिटायर्ड लोको पायलट थे। पिछले साल अप्रैल में उनकी कोरोना की वजह से मौत हो गई। इसके बाद उन्होंने 1 साल तक सिंगिंग और डांसिंग से दूरी बना ली। अब वह फिर से वेडिंग डांस कोरियोग्राफी का काम शुरू कर रही हैं।
खबरें और भी हैं…