BJP की सबसे पॉवरफुल कमेटी के सदस्य का इंटरव्यू: MP से इस कमेटी में इकलौते नेता हैं जटिया; शिवराज-गडकरी को बाहर करने पर भी बोले

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पराग नातू/इंदौर40 मिनट पहले

भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का बुधवार को नए सिरे से गठन किया गया। इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रिटेन नहीं किया गया है। पिछले लगभग दो वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को जगह दी गई है। उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र से सात बार सांसद रहे जटिया को संसदीय बोर्ड में शामिल करने पर दैनिक भास्कर ने उनसे सबसे पहले विशेष चर्चा की।

पहले पढ़िए संसदीय बोर्ड में शामिल करने को लेकर क्या बोले पूर्व राज्यसभा सांसद…

सवाल: आपको इस समिति में शामिल करने की सूचना कैसे मिली? क्या इसके लिए पहले से कोई भूमिका बनाई जा रही थी?जटिया: नहीं ऐसी कोई भूमिका पहले से नहीं थी। पार्टी नेतृत्व ने मेरे नाम पर विचार किया। मैं पहले भी बोर्ड में रह चुका हूं और प्रदेश अध्यक्ष भी रहा हूं। ऐसे में मेरे लिए यह अपने अनुभव को फिर से प्रकट करने का मौका है। मेरे लिए एक अवसर है, फिर से अपने अनुभव का प्रदर्शन करने का।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री जटिया, उनकी पत्नी, बेटा और बहू।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री जटिया, उनकी पत्नी, बेटा और बहू।

सवाल: राजनीति में सक्रिय कैलाश विजयवर्गीय, नरेन्द्र सिंह तोमर, गोपाल भार्गव जैसे नेताओं की जगह आपको तरजीह दी गई। क्या वजह मानते हैं?जटिया: सभी योग्य लोग हैं। ये कार्यकर्ता के लिए एक मौका होता है। कार्यकर्ता के नाते से मुझे जो मौका दिया गया है। जिन लोगों के नाम आपने लिए हैं वे सभी आदरणीय हैं और अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।

सवाल: क्या आपको जो पद दिया गया है, उससे पार्टी प्रदेश में कार्यकर्ताओं को प्रतिनिधित्व के लिहाज से कोई संदेश देना चाहती है?जटिया: कार्यकर्ता की क्षमता का उपयोग पार्टी को मिले, अनुभव का उपयोग पार्टी को मिले यह विचार इसके पीछे रहा है। मैं जब पार्टी अध्यक्ष बना तब भी मैंने उस समय की परिस्थितियों के लिहाज से काम किया और पार्टी को मजबूत बनाया। हर जगह हर कार्यकर्ता का अपना महत्व होता है।

2003 में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ एक कार्यक्रम में सत्यनारायण जटिया।

2003 में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ एक कार्यक्रम में सत्यनारायण जटिया।

सवाल: आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों को लेकर बोर्ड का नए सिरे से गठन और उसमें पुराने चेहरों को हटाकर नए चेहरों को मौका देना क्या चुनावी राजनीति और रणनीति का हिस्सा है?जटिया: हम इसे इस संदर्भ में नहीं देख रहे हैं। शिवराज जी या गडकरी जी को हटाया नहीं गया है, उनको दूसरे कामों के लिए अधिक समय मिल सके, इस दृष्टि से उन्हें वहां नियोजित करने के उपाय किए गए हैं। चुनाव, राजनीति और उसके परिणाम विशुद्ध रूप से एक-दूसरे से संबंधित जरूर हैं। लेकिन पार्टी की तैयारी किस प्रकार से हो, नीतियां किस प्रकार से बनें, अच्छे निर्णय किस प्रकार से ले सकें, पार्टी को जीत मिले, पार्टी सरकार बनाए यही उद्देश्य रहता है। पार्लियामेंटरी बोर्ड अंतिम फैसला करता जरूर है, लेकिन सबकी राय और सलाह के आधार पर उसमें से निर्णय किए जाते हैं। उनके आधार पर ही कैंडिडेट का चयन होता है और उसी आधार पर पार्टी चुनाव लड़ती है।

सवाल: क्या कैलाश विजयवर्गीय से बंगाल का प्रभार लेना, शिवराज और गडकरी को इस समिति से बाहर रखकर आपको शामिल करना पार्टी का चौंकाने वाला निर्णय है?जटिया: इस समय कोई संदर्भ नहीं है। हम इसे इस तरह से सोचते भी नहीं है। ये तो समय-समय से बारी-बारी से पारी खेलने का मौका होता है और जैसा कि हम देखते हैं कि अच्छी पारी खेलने के लिए व्यक्ति के अनुभव का अन्यत्र भी उपयोग किया जाना चाहिए। किसी को कोई नया दायित्व देना है तो उसकी जगह पर किसी और को तो लाना ही पड़ेगा। जिन्हें जगह नहीं दी गई या रिटेन नहीं किया गया उनके लिए पार्टी ने कोई और भूमिका निश्चित तौर पर सोच रखी होगी।

उज्जैन-आलोट से सात बार सांसद रहे जटिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ।

उज्जैन-आलोट से सात बार सांसद रहे जटिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ।

सवाल: भाजपा को चाल, चेहरा, चरित्र वाली पार्टी कहा गया है। लेकिन पिछले कुछ सालों में भाजपा जोड़तोड़ की या कहें तो सत्ता की राजनीति में सक्रिय रही है। इस आरोप पर आपका क्या कहना है?जटिया: हमारे लिए राष्ट्र का परम वैभव ही आदर्श है। 2014 से जो दुनिया में हमारी पहचान बनी है, जो साख बनी है, जो साख की धाक बनी है, उस पर तो हमें गौरव करना चाहिए। इसलिए बड़े उद्देश्यों को हासिल करने के लिए, राष्ट्र के कामों को करने के लिए छोटी-मोटी बातों को तो भूलना ही पड़ता है। धारा 370 हो, राम मंदिर का मुद्दा हो, ये जो अनुकूलता आई है, वो पार्टी की मजबूती से ही आई है।

श्रम मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान तिब्ब्त से आए प्रतिनिधिमंडल से मिलते जटिया।

श्रम मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान तिब्ब्त से आए प्रतिनिधिमंडल से मिलते जटिया।

सवाल: नए दायित्व को लेकर क्या कोई लक्ष्य निर्धारित किए हैं?​​​​​​​जटिया: इसमें स्वयं का कोई लक्ष्य नहीं होता है। पार्टी के निर्णयों को ठीक ढंग से लागू करना, कार्यान्वित करना यही इस बोर्ड का उद्देश्य होता है। इसलिए अलग से व्यक्तिगत रूप से कोई लक्ष्य नहीं है।

सवाल: राजनीति में गठबंधन और सरकारें गिराने-बनाने का नया ट्र्रेंड चल पड़ा है, इस बारे में आप क्या कहेंगे?​​​​​​​जटिया: राजनीति का अर्थ ही है कि राज करने के लिए जो भी सहायक हो सकते हैं, उन्हें साथ लाना। ये तो permutation-combination का मामला है।

अब जानिए डॉ. सत्यनारायण जटिया के बारे में…

मध्यप्रदेश के जावद में पैदा हुए डॉ. सत्यनारायण जटिया एक किसान, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और औपचारिक संघीय मंत्री भी हैं। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है।

जटिया की करियर टाइमलाइन

1972- डॉ. सत्यनारायण जटिया ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें एमआईएसए, MISA (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत हिरासत में लिया गया था।

1977 – सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा। सदस्य, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की कल्याण समिति।

1977- मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।

1980 – उज्जैन संसदीय सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। श्रम मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति के सदस्य, दहेज निषेध (संशोधन) विधेयक पर गठित समिति के सदस्य बने।

1989 – उज्जैन संसदीय सीट से फिर सांसद चुने गए।

1990 – सदस्य, आधिकारिक भाषा समिति; परमाणु ऊर्जा विभाग के सलाहकार समिति के सदस्य,अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स, महासागर विकास और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सदस्य बने।

1991 – उज्जैन संसदीय सीट से फिर लोकसभा सांसद का चुनाव जीते। सदस्य, आधिकारिक भाषा सदस्य समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सलाहकार समिति।

1993 – उद्योग समिति के सदस्य मनोनीत।

1996 – उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति फोरम के सचिव बने। संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति फोरम के उपाध्यक्ष बने। तालिका और कागजात देखरेख समिति के अध्यक्ष बने। संचार समिति के सदस्य बने। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य बने। आधिकारिक भाषा समिति के सदस्य बने।

1998 – उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, श्रम विभाग।

1999 – 13वीं लोकसभा के लिए उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से छठी बार चुने गए। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, श्रम।

2001 – केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण।

2004 – 14वीं लोकसभा में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से सातवीं बार चुने गए। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण समिति के अध्यक्ष बने, श्रम मामले में गठित समिति के सदस्य बने। सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने।

2007 – कोयला और स्टील विभाग के स्थायी समिति के अध्यक्ष बने।

2014 – उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया था। जटिया राज्यसभा के पैनल में उपाध्यक्ष के लिए मनोनीत हुए। लोक लेखा समिति के सदस्य बने। सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने, व्यापार सलाहकार समिति के सदस्य बने, आधिकारिक भाषा समिति के सदस्य बने, 2014 नवंबर के बाद मानव संसाधन विकास समिति के अध्यक्ष बने।

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