रालामंडल: खतरा बन गए थे पत्थर, जाली से पैक कर सीढ़ियां बना दी; पैदल जाने वालों को चोट लगने का खतरा रहता था

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इंदौर43 मिनट पहले

कॉपी लिंकअभयारण्य के प्रबंधन ने इन पत्थरों को ही जालियों में बांधकर उन्हें सीढ़ियाें का आकार दे दिया - Dainik Bhaskar

अभयारण्य के प्रबंधन ने इन पत्थरों को ही जालियों में बांधकर उन्हें सीढ़ियाें का आकार दे दिया

अभयारण्य में चोटी पर स्थित शिकारगाह जाते वक्त बारिश में ये पत्थर अचानक ट्रैक पर आ जाते थेगाड़ी चढ़ाते वक्त पत्थर ट्रैक पर आ जाने से गाड़ी रोकना पड़ती थी

रालामंडल अभयारण्य की चोटी पर स्थित शिकारगाह जाते वक्त अकसर बारिश में परेशानी आती थी। पहाड़ी से बहकर आने वाले पानी के साथ पत्थर ट्रैक पर आ जाते थे। पैदल जाने वालों को चोट लगने का खतरा रहता था। गाड़ियों का रास्ता भी रुक जाता था।

गाड़ी चढ़ाते वक्त पत्थर ट्रैक पर आ जाने से गाड़ी रोकना पड़ती थी। अभयारण्य के प्रबंधन ने इन पत्थरों को ही जालियों में बांधकर उन्हें सीढ़ियाें का आकार दे दिया। अब यही पत्थर रास्ते में पर्यटकों को आराम करने के काम भी आ रहे हैं।

01 लाख 45 हजार रुपए की जालियां खरीदीं35 हजार रुपए लेबर में खर्च हुए900 मीटर के हिस्से में पत्थरों से सीढ़ी बना दी

अब इन्हीं पत्थरों पर आराम भी फरमा लेते हैं लोग

रालामंडल अधीक्षक दिनेश वास्कले के मुताबिक ट्रैक पर कई बार एक से 10-10 किलो तक के पत्थर आ जाते थे। बारिश में जगह-जगह नजर आते थे। इन्हें उठाकर व्यवस्थित रखना भी मेहनत का काम था। एनीमल जोन में फेंकने पर जंगली जानवरों के घायल होने की आशंका भी बनी रहती थी। इन पत्थरों को अपनी जगह पर ही व्यवस्थित करने और जालियों में बांधने की योजना बनाई गई।

1 लाख 45 हजार रुपए की जालियां खरीदी गई। 35 हजार रुपए लेबर में खर्च हुए और तकरीबन 900 मीटर के हिस्से में पत्थरों को खतरे के बजाए सीढ़ियों में तब्दील कर दिया। पत्थरों को इस तरह बांधा गया है कि लोग उस पर बैठकर भोजन कर सकते हैं, सुस्ता सकते हैं। सेल्फी लेने के लिए भी यह अच्छी जगह हो गई है। जो लोग पैदल ट्रेकिंग करते हैं, उनके लिए ऐसे स्थान बहुत फायदेमंद साबित हो रहे हैं। लगातार पैदल चलने से थकने पर लोग सुस्ता लेते हैं।

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