सुसाइड केस बढ़े: आत्महत्या करने वाले 2021 में 35% बढ़े, बीमारी इसका सबसे बड़ा कारण

भोपाल10 मिनट पहलेलेखक: सुनीत सक्सेना

कॉपी लिंकशहर में आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ - Dainik Bhaskar

शहर में आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ

भोपाल में 655 लोगों ने आत्महत्या की, इनमें 170 महिलाएं14 साल से कम उम्र के 5 और 14 से 18 साल के 31 बच्चों ने मौत को गले लगा लिया

राजधानी भोपाल में आत्महत्या के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। साल 2021 में 655 लोगों ने आत्महत्या की, इनमें 170 महिलाएं हैं। आत्महत्या का यह आंकड़ा 2020 की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा है। 2020 में 146 महिलाओं समेत 485 लोगों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ रहा है।

पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि पारिवारिक विवाद, डिप्रेशन, बीमारी और आर्थिक तंगी आत्महत्या के मुख्य कारण हैं। खासबात यह है कि 18 से 45 आयु वर्ग के लोग ऐसे समय आत्महत्या कर रहे हैं, जब उन्हें अपना कॅरियर बनाकर लाइफ सेटल करनी होती है। वे जिम्मेदारियों से लड़ने के बजाय आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं।

यह हैं आत्महत्या के कारणज्यादातर आत्महत्या की वजह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से डिप्रेशन को ही माना जा रहा है। दो साल के कोरोना लॉकडाउन के चलते काफी संख्या में लोग रोजगार छिनने के कारण डिप्रेशन में चले गए। कई लोग बीमारी से तंग आकर इस डिप्रेशन से जूझ रहे थे तो कुछ लोग पारिवारिक विवाद के कारण मानसिक रूप से परेशान थे।

2021 में आत्महत्या की मुख्य वजह

2021 में आत्महत्या की मुख्य वजह

14 साल से कम उम्र के 5 और 14 से 18 साल के 31 बच्चों ने मौत को गले लगा लिया

14 साल से कम उम्र के 5 बच्चों ने आत्महत्या की, जिनमें एक बच्चे ने परीक्षा में फेल होने के कारण जान दे दी। चार मामलों में कारण स्पष्ट नहीं हो सका।14 से 18 साल के 31 बच्चों ने खुदकुशी की, जिनमें छह बच्चों ने पारिवारिक कारण और परीक्षा के कारण ऐसा कदम उठाया।18 से 30 साल के 263 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 169 पुरुष और 94 महिलाएं हैं। इनमें 22 ने प्रेम प्रसंग, 33 ने पारिवारिक विवाद, 40 ने बीमारी और 24 ने डिप्रेशन के कारण यह कदम उठाया।30 से 45 की उम्र के 25 पुरुष और 4 महिलाओं ने आत्महत्या की। इनमें 20 ने डिप्रेशन, जबकि 79 ने बीमारी से हार मान ली।

व्यवहार में परिवर्तन दिखे तो तत्काल परामर्श लेंयह एक बायोलॉजिकल बीमारी है। आत्महत्या वही करता है, जो नकारात्मकता से गुजर रहा है। निराश, उदास, काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ापन ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उसे बाहरी कारण से जोड़ दिया जाता है। समाज में मानसिक परेशानियों को लेकर जागरूकता होनी चाहिए, ताकि व्यवहार में परिवर्तन देखकर सही समय पर परामर्श के लिए लेकर जाएं।

-रूमा भट्टाचार्य, मनोचिकित्सक

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