जबलपुर42 मिनट पहले
रेड सिग्नल के कारण कारों के पहिए जाम।
जबलपुर स्मार्ट सिटी के द्वारा शहर में स्मार्ट सिग्नल लगाए गए हैं। यह सिग्नल लोग को शहर के व्यस्ततम चौराहे व चौराहों पर लगाया गया है। हालांकि अधिकांश तिराहों और चौराहों पर सिग्नल कंट्रोल तो नहीं अनकंट्रोल जरूर दिखाई देता है। जिसके कारण ट्रैफिक जाम हो जाता है। साथ ही वाहनों के पहिए भी थम जाते हैं। वहीं ब्लूम चौक में लगाए गए स्मार्ट सिटी के द्वारा स्मार्ट सिग्नल भी अनकंट्रोल है।
जहां भंवरताल से ब्लूम चौक तक जाने वाले सिग्नल में 2 मिनट का रेड सिग्नल होता है। जिसके बाद इसे महज 20 सेकेंड के लिए ग्रीन सिग्नल कर खोला जाता है। वहीं 2 मिनट तक रेड सिग्नल होने के कारण करीब 200 मीटर लंबी लाइन कारों की लग जाती है। जिसके कारण 20 सेकंड के ग्रीन सिग्नल में कारों को क्रॉस करने में दो से तीन बार ग्रीन सिग्नल होने का इंतजार करना पड़ता है। बावजूद इसके आने-जाने में 5 मिनट से अधिक ट्रैफिक में खड़ा होना पड़ता है।
लेफ्ट टर्न का भी नहीं कर पा रहे सदुपयोग
दोपहर 12 के बाद भंवरताल से लेकर ब्लूम चौक तक लंबा जाम भी लग जाता है। जानकारों का कहना हैं जिसकी एक वजह ट्रैफिक सिग्नल के द्वारा बढ़ाया गया समय हैं तो वहीं दूसरी तरफ बनाया गया लेफ्ट टर्न। शहर में चारों तरफ लेफ्ट स्मार्ट सिटी के द्वारा बना दिया गया है। लेकिन अतिक्रमण होने के कारण राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वही जब अतिक्रमण हटाने की बारी आती है। तो स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के द्वारा नगर निगम के द्वारा अतिक्रमण दस्ता हटाने की बात कही जाती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी एक दूसरे के पाले पर कब तक गेंद डालते रहते रहेंगे। आखिरकार सिस्टम को सुधारने का प्रयास कब किया जाएगा। यदि लेफ्ट का सदुपयोग किया जाए तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है।
अन्य तिराहों और चौराहों के भी यहीं हाल
इसी तैयब अली पेट्रोल पंप सहित अन्य तिराहे व चौराहे हैं जहां ट्रैफिक अनकंट्रोल होता है। लेकिन स्मार्ट सिटी के अधिकारी अपने स्मार्ट केबिन में बैठकर सिर्फ चालानी कार्रवाई करते हैं। सिस्टम को किस तरह से सुधारा जाए इसके लिए प्रयास भी नहीं किया जाता है। हालांकि स्मार्ट सिटी के कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जो इसी मार्ग से आते-जाते भी हैं। लेकिन जानकारी होने के बावजूद भी वह शिकायत आने का इंतजार करते है।
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