Hindi NewsLocalMpBhopalEvery Wednesday, AIIMS Director Dr. Ajay Singh Will Treat Children Suffering From Congenital Bone Diseases In OPD
भोपाल2 मिनट पहले
जन्मजात हडि्डयों की बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को इलाज के लिए अभी नागपुर, मुंबई सहित दूसरे राज्यों के अस्पतालों में भेजना पड़ता है। गरीब परिवारों में पैदा हुई बच्चों को कई बार पैसों के अभाव में समय पर इलाज नहीं मिल पाता। ऐसे बच्चों को अब भोपाल में ही इलाज मिल सकेगा। एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह नोएडा के किंग जॉर्ज मेडिकल इंस्टीट्यूट की तर्ज पर एम्स में पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स यूनिट तैयार करेंगे। एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह ने बुधवार को ओपीडी में बच्चों का इलाज किया। अब वे हर बुधवार को जन्मजात हड्डी रोगों से पीडित बच्चों को ओपीडी में देखकर इलाज करेंगे।
ओपीडी में बच्चों का उपचार करते एम्स के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह
एमपी में पहला संस्थान जहां होगी पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स यूनिट
वर्तमान में जन्मजात विकृतियों से ग्रस्त बच्चों को इलाज के लिए मुंबई, सूरत, चेन्नई, दिल्ली जैसे शहरों में जाना पड़ता है। एम्स भोपाल में प्रदेश की पहली पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स यूनिट तैयार की जाएगी। जन्मजात बीमारियों से पीडित बच्चों की सर्जरी के लिए एनएचएम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) से मदद मिलती है। एम्स में इस यूनिट के शुरु हो जाने से बच्चों को इलाज के लिए दूसरे शहरों के अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पडे़गा।
टेढे़- मेढे़ पैरों की हो सकेगी सर्जरी
एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि बच्चों में कई प्रकार की हडि्डयों से संबंधित जन्मजात बीमारियां होतीं हैं। टेढ़े- मेढे़ पैरों की समस्या को क्लब फुट कहते हैं। इसका उपचार भी एम्स में हो सकेगा इसके मरीजों को पैर को खींचकर और मोड़कर बाहर और ऊपर की तरफ कर दिया जाता है। इसके बाद पैर की अंगुलियों से लेकर जांघ के ऊपरी हिस्से तक प्लास्टर चढ़ा देते हैं। दो हफ्ते बाद फिर देखते हैं और उसी हिसाब से दोबारा प्लास्टर लगाते हैं। इस तरह करीब छह से आठ बार प्लास्टर लगाने से पैर में सुधार हो जाता है। इसके बाद खास तरह के जूते तैयार कराए जाते हैं। करीब 10 प्रतिशत बच्चों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। बच्चों के इलाज के लिए क्लब फीट इंटरनेशनल इंडिया और आरबीएसके प्रोग्राम से सहयोग मिलता है।
अनुवांशिक भी होती हैं बच्चों की बीमारियां
यह जन्मजात समस्या है। आनुवंशिक भी होती है। यदि किसी परिवार में एक बच्चे को समस्या है तो दूसरे बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा गर्भावस्था में चूल्हा फूंकते वक्त धुआं जाने अथवा स्मोकिंग की वजह से लेड की मात्रा अधिक होने, आयरन व विटामिन बी 12 की मात्रा कम होने से भी यह बीमारी होती है। वहीं पैर की मांसपेशियों में खून की कमी, कोई संक्रमण, पोलिया या रीढ़ की जन्मजात बीमारी भी क्लब फुट का कारण बनती है। बच्चे के जन्म के बाद उसके पैरों को ध्यान से देखें। क्लब फूट में पैर नीचे की तरफ अंदर की ओर मुड़ा दिखता है। एड़ी जमीन से उठी होती है। दोनों पैरों में छोटा या बड़ा का अंतर दिखता है।
इन बीमारियों का हो सकेगा इलाज
कूल्हे की हड्डी
टेढे पैर
सेलेब्रल पाल्सी
अर्थराइटिस
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