लेट होने के डर ने ली 4 स्टूडेंट की जान: 5 मिनट भी लेट हुए तो स्कूल एंट्री नहीं देता; नागदा तक इसी प्रेशर में गाड़ी दौड़ाता था ड्राइवर

Hindi NewsLocalMpUjjainEven If You Are 5 Minutes Late, The School Does Not Give Entry; The Driver Used To Drive 20km Under The Same Pressure

आनंद निगम। उज्जैन13 मिनट पहले

अगर आपके बच्चे वैन या प्राइवेट व्हीकल्स से स्कूल जाते हैं तो ये खबर आपको अलर्ट करने वाली है। स्कूल मैनेजमेंट के लिए भी जरूरी है। उज्जैन के उन्हेल हादसे में 4 स्कूली बच्चों की मौत की वजह इसी से जुड़ी है। पेरेंट्स के मुताबिक, स्कूल पहुंचने में 5 मिनट भी देर हो जाती है तो स्कूल मैनेजमेंट बच्चों को एंट्री नहीं देता है। ड्राइवर पर बच्चों को टाइम पर स्कूल पहुंचाने का प्रेशर रहता है। इसी प्रेशर में वो हर दिन उन्हेल से 20km दूर नागदा तक गाड़ी दौड़ाता था।

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हादसे में जान गंवाने वाली उमा के परिजन संजय कुंडल ने बताया, उन्हेल के ज्यादातर बच्चे नागदा में ही पढ़ते हैं। टाइम पर स्कूल पहुंचने का मानसिक दबाव बच्चों और ड्राइवर पर रहता था। स्कूल मैनेजमेंट को इतनी सख्ती नहीं करना चाहिए। सख्ती कम होगी तो इस तरह की घटना दोबारा नहीं होगी।

परिजन के आरोप पर दैनिक भास्कर ने फातिमा कॉन्वेंट स्कूल मैनेजमेंट से बात की। मैनेजमेंट ने सिर्फ इतना कहा कि स्कूल टाइम सुबह 8 बजे कर दिया है। पहले टाइम सुबह 7.30 बजे था।

बता दें, 22 अगस्त की सुबह उन्हेल से 15 बच्चे फातिमा कॉन्वेंट और एगोशदीप स्कूल (दोनों नागदा में हैं) के लिए निकले थे। सुबह 7 बजे झिरन्या फंटे पर स्कूल टैंपो ट्रैक्स और ट्रक में हुई भिड़ंत हो गई थी। हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई थी। 11 बच्चे घायल हैं। ट्रैक्स में सवार 12 बच्चे नागदा के फातिमा कॉन्वेंट स्कूल के थे।

ड्राइवर भैया कहते थे, बारिश में तेज गाड़ी चलाना ठीक नहीं…हादसे वाले दिन बारिश होने की वजह से कुछ बच्चे स्कूल नहीं गए थे, इनमें से एक अर्ग पाटनी है। अर्ग 9th क्लास का स्टूडेंट है। उसने बताया कि हम बच्चे लेट करा देते थे तो ड्राइवर भैया गाड़ी को तेज चलाते थे। उन्होंने बोल भी रखा था कि लेट मत किया करो, बारिश में तेज गाड़ी चलाना ठीक नहीं है। हालांकि, बोलने पर वो स्लो भी कर देते थे। हमें 7.30 बजे स्कूल पहुंचना होता था। 6.45 पर वैन घर पर आ जाती थी।

हमारे मन में अब डर बैठ गया…प्रमिला मेहता ने कहा उन्हेल में ही अच्छा स्कूल होना चाहिए। बच्चे बाहर पढ़ने जाते हैं। हमारे मन में अब डर बैठ गया है कि बच्चों को स्कूल भेजें कैसे? यहां तो एक हॉस्पिटल भी अच्छा नहीं। उस दिन सावन सोमवार होने पर रोड पर भीड़ थे, ऐसे में किसी तरह रास्ता बनवाकर घायल बच्चों को अस्पताल तक पहुंचाया। रोड को फोरलेन होना चाहिए।

निहारिका और हरीश भी इस हादसे में घायल हुए हैं।

निहारिका और हरीश भी इस हादसे में घायल हुए हैं।

निहारिका की हालत नाजुक, गांववाले कर रहे दुआ11 घायल बच्चों में सबसे नाजुक हालत मृतक सुमित की बहन निहारिका की है। वो बॉम्बे अस्पताल (इंदौर) में भर्ती है। डॉक्टर ने उसके जल्द से जल्द ऑपरेशन की बात कही है। उन्हेल निवासी और मृतक बच्चों के परिवार के करीबी दिनेश धाकड़ ने बताया कि गांव के कई लोगों ने घायल बच्चों की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना की है। कुछ ने मन्नतें भी मांगी हैं।

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