Hindi NewsLocalMpShahdolDelimitation And Voters Ratio Is Not Correct In Shahdol Napa, Elections Should Be Held After Removing Discrepancies
शहडोल24 मिनट पहले
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शहडोल नगरपालिका के संदर्भ में जारी हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगरपालिका का चुनाव कुछ माह के लिए टल सकता है। आदेश में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पुनः मतदाताओं की गिनती हो और वार्ड परिसीमन बाद आरक्षण प्रक्रिया होने के बाद ही चुनाव करवाया जाए।
नगरपालिका शहडोल सहित बुढ़ार, जयसिंहनगर नगर परिषद में होने वाले चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी थी। वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया भी बीते दिनों में प्रशासन ने कर दी। जिसके बाद तीनों ही निकायों में प्रत्याशियों के नाम भी सामने आने लगे। राजनीतिक दल भी अपनी जीत के गुणा भाग लगे हुए थे। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश ने सब कुछ रोक दिया।
2017 में लगाई थी याचिका
वर्ष 2017 में नगरपालिका परिसीमन और जनसंख्या अनुपात की विसंगतियों को लेकर शहडोल निवासी कर सलाहकार एवं जिला महामंत्री कांग्रेस मनोज गुप्ता ने याचिका लगाई थी। वहीं इसी संबंध में दूसरी याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश दीक्षित ने लगाई। दीक्षित की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जबलपुर ने यह फैसला 17 अगस्त को दिया।
34 की जगह 39 वार्डों में हुआ चुनाव
अधिवक्ता दीक्षित ने बताया कि शहडोल नगर पालिका के वार्डों को लेकर जो परिसीमन की प्रक्रिया की गई, वह न्याय संगत नहीं है। इतना ही नहीं नगर पालिका ने वार्ड की संख्या जो ऊपर कार्यालयों में भेजी थी, वह 34 थी। जब वार्डों का परिसीमन हुआ, तो उनकी संख्या बढ़कर 39 हो गई। यह न्याय संगत और नियमपूर्वक भी नहीं था। वार्डों की संख्या को लेकर किया गया परिसीमन खुद संदेह के घेरे में है।
मतदाताओं की संख्या में 200 से 300% का फर्क
यही नहीं नगरपालिका क्षेत्रांतर्गत कुछ ऐसे वार्ड भी हैं, जिनकी आपस में तुलना की जाए, तो उनकी जनसंख्या खासकर मतदाताओं की संख्या में 200 से 300% का फर्क है। न्यायालय ने पेश किए गए तथ्यों के अवलोकन बाद उन पर अपनी सहमति जताई और यह स्पष्ट किया है। यदि चुनाव की प्रक्रिया अर्थात अधिसूचना या तारीख घोषित नहीं की गई है, तो यह आदेश लागू होगा। इन विसंगतियों को दूर करने के उपरांत चुनाव संपन्न होगा।
पुनः परिसीमन और मतदाताओं की संख्या पर विचार करने के बाद, क्षेत्र के जनसंख्या को समस्त वार्डों में विभक्त करने के उपरांत, सिर्फ 15% जनसंख्या का ही फर्क वार्डों की जनसंख्या में हो सकता है। स्पष्ट आदेश है कि इससे अधिक जनसंख्या का अनुपात होने पर यह न्याय संगत नहीं होता।
इधर, यह बात भी सामने है कि, अभी तक निर्वाचन आयोग और स्थानीय निर्वाचन शाखा से इस संदर्भ में कोई घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, चुनाव को लेकर तैयारियां तो शुरू हो गई हैं। अभी चुनाव की तिथि का निर्धारण और अधिसूचना जारी नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में न्यायालय का आदेश माना जाएगा।
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