धर्मेंद्र दीवान, (नर्मदापुरम)13 मिनट पहले
हर साल तिल-तिल बढ़ते हैं एकदंत
गणपति उत्सव बुधवार से शुरू हो रहा है। घर-घर में गणपति विराजेंगे। वहीं मप्र का बाचापानी (गणेशधाम) ऐसा गांव है जहां घरों में भगवान गणेश की स्थापना नहीं की जाती है। गांव की सीमा में रहने वाले किसी भी घर या पंडाल में भगवान गणेश की स्थापना नहीं होती है। गांव में स्थित अत्यंत प्राचीन तिल गणेश मंदिर में ही यहां के लोग पूजा-अर्चना करते हैं। लोगों का मानना है कि यदि घरों में या पंडाल में श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई तो कुछ-न-कुछ अनिष्ट हो सकता है। इसी को देखते हुए गांव के किसी भी घर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती। ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक कहानी प्रचलित है। जिसके मुताबिक वर्षों पहले गांव के बाहर से आए लोगों के घर में आग लग गई थी। फायर ब्रिगेड से घर में लगी आग बुझाई तो पता चला कि उन्होंने अपने घर में भगवान गणेश की स्थापना कर ली थी। गांव वालों का मानना है कि इस तरह की और भी घटनाएं पूर्व में घटित हो चुकी हैं।
गांव बाचावानी में स्थित अतिप्राचीन तिल गणेश मंदिर।
मंदिर में रहती है भक्तों की भीड़
भगवान गणेश के अतिप्राचीन मंदिर में गणेश उत्सव के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर नर्मदापुरम से 90 किमी और पिपरिया से 18 किलोमीटर दूर बनखेड़ी रोड पर बसे ग्राम बाचावानी में स्थित है। 400 वर्ष पुराने इस मंदिर की ऐतिहासिक प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसमें एक दंत गणेश जी की सूंड दाहिनी ओर है। मूर्ति का निर्माण एक ही पत्थर से किया गया है। गणेश प्रतिमा के साथ ही ऋद्धि, सिद्धि, मूषक व शुभ लाभ भी बने हुए हैं। पारंपरिक रूप से गणेश चतुर्थी से यहां विशेष पूजा होती है, जो अनंत चतुर्दशी तक चलती है। गांव के 71 साल के बुजुर्ग बाबूलाल बड़कूर, संतोष पटेल संतोष पटेल ने बताया कि गांव में कही भी गणेश जी की स्थापना नहीं होती। पूरा गांव मंदिर में ही जाकर पूजन करता है। वर्षों पहले कुछ लोगों ने प्रतिमा स्थापित की थी लेकिन जब उन लोगों के साथ अनिष्ट हुआ तब से कोई भी यह साहस नहीं कर पाता है।
बाचावानी में कैसे विराजे भगवान गणेश
इस मंदिर में 6 पीढ़ी से पूजन करने वाले परिवार के पुजारी मनोहरदास बैरागी के अनुसार दाहिनी ओर सूंड वाली प्रतिमाएं बहुत बिरली हैं। ऐसी प्रतिमा मप्र में कहीं भी नहीं हैं। हर जगह बायीं ओर सूंड वाली प्रतिमाएं ही मिलती हैं। परंपरागत रूप से एक ही परिवार के वंशज यहां के पुजारी होते हैं। वर्तमान पुजारी बताते हैं कि वे 6 वीं पीढ़ी के हैं, जो कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करा रहे हैं।
तिल गणेश मंदिर का प्रमुख द्वार।
प्रतिमा लेने आए थे राजा, नहीं ले जा पाएं
मंदिर के पुजारी ने बताया बुजुर्गों से पता चला है कि 400 साल पहले ग्राम बाचावानी फतेहपुर रियासत का हिस्सा था। जहां राजगौंड राजा का शासन था। उस समय यह प्रतिमा यहां खेत में मिली थी। करीब 150 साल पहले राजा फतेहपुर को यह प्रतिमा पसंद आ गई। उन्होंने हाथी पर रखकर प्रतिमा को फतेहपुर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन प्रतिमा रखने के बाद हाथी उठ ही नहीं पाया। अंत में हारकर यह माना गया कि श्री गणेश इसी स्थान पर ही विराजना चाहते हैं, तब यहीं मंदिर बना दिया गया।
हर साल तिल बराबर बढ़ जाती है प्रतिमा
माघ महीने की तिल गणेश चतुर्थी को गणेश धाम में लेना लगता है। गांव के बाबूलाल ने बताया ऐसी मान्यता है कि चतुर्थी को भगवान गणेश की प्रतिमा तिल बराबर बढ़ती है। इस दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। तिल गणेश के पर्व पर यहां मेला भरता है और दूर से लोग यहां आते हैं। यहां श्रद्धा से पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है।
राम-सीता, राधा-कृष्ण भी विराजित
प्राचीन मंदिर में श्री गणेश के अलावा श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और राधा कृष्ण की प्रतिमा भी विराजित है। मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान राम, सीता, लक्ष्मण और राधा कृष्ण की प्रतिमा विराजित की गई। राम भगवान राम की प्रतिमा काली है। बताते है य़ह सभी प्रतिमा भी करीब 200 साल पुरानी है।
श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा
राधा-कृष्ण की विराजित प्रतिमा।
क्या कहते हैं ग्रामीण
छोटी सी देखी थी प्रतिमा, अब बढ़ गई
गांव के 71 साल के बुजुर्ग बाबूलाल बड़कुर बताते है कि मेरा जन्म इसी गांव में हुआ है। बचपन में जब से होश संभाला तब कि याद है कि प्रतिमा को छोटे स्वरुप में देखा था। हर साल तिल बराबर प्रतिमा बढ़ती है। अब कुछ बढ़े स्वरूप में हो गई है।
बाहरी लोगों ने बैठाई प्रतिमा, लग गई आग
ग्रामीण हरिराम पटेल ने बताया गांव में कुछ साल पहले साँप पकड़ने वाले कुछ परिवार बाहर से आकर गांव में बसे। 3,4 साल पहले एक परिवार के घर में आग लग गई। फायर ब्रिगेड से आग बुझाया गया था। बाद में पता चला था कि उस घर में गणेश प्रतिमा स्थापित की थी। ऐसा माना जाता है कि प्रतिमा बैठाने वाले उन लोगों के साथ अनिष्ट हुआ तब से कोई भी यह साहस नहीं कर पाता है।खबरें और भी हैं…