Hindi NewsLocalMpMorenaIn Morena’s Cowshed, Straw Is Put On The Soil And Cow Dung; 3 Crore Budget Yet The Situation Is Worse
रतन मिश्रा (मुरैना)16 मिनट पहले
मुरैना की देवरी गौशाला। ये गौशाला आपको 200 गायों की मौत और गड्ढे में दफन करने के नाम पर याद होगी। इस सालाना बजट 3 करोड़ रुपए का है। यानी हर महीने 25 लाख रुपए…। यहां ढाई हजार गौवंश हैं। इनको गायों को पेटभर भूसा नसीब नहीं हो रहा। ऐसे में गाय भी जमीन पर मिट्टी और गोबर के बीच डाला गया भूसा खाकर भूख शांत कर रही हैं। दैनिक भास्कर की टीम गौशाला पहुंची तो वहां के हालात बेहद खराब थे। गायों के लिए बनाए गए खनौटे महीनों से खाली पड़े हैं। किसी खनौटे में भूसा है तो वह सड़ चुका है। एक खनौटे में ऊपर से भूसा पड़ा था, टटोलकर देखा तो नीचे मिट्टी थी। हालात ये हैं कि गायें भूखों मर रही हैं। गौशाला के हालात पर पेश है एक रिपोर्ट….
खबर आगे पढ़ने से पहले आप इस पाल पर राय दे सकते हैं…
कीचड़ और गोबर में डाल देते हैं भूसा
इस गौशाला में 8 महीने पहले 200 गायों की मौत हुई थी। बवाल के बाद हालत में सुधार हुआ था, लेकिन एक-दो महीने बाद ही फिर पुराना ढर्रा पर पहुंच गया। अब हालात ये हैं कि खनौटे में महीनों से भूसा नहीं डाला गया। जमीन पर ही कीचड़ और गोबर के बीच भूसा डाला जाता है। उसी भूसे को खाना गायों की मजबूरी हो गई है। गायों के लगातार भूखे रहने से उनकी हालत लगातार गिरती जा रही है और वह मौत की दहलीज तक पहुंच गई हैं।
गोबर उठाने की नहीं व्यवस्था
गौशाला में गायों के गोबर को उठाने की व्यवस्था नहीं है। गायों का गोबर मिट्टी में ही मिल जाता है। जमीन पर ही गौशाला के कर्मचारी भूसा बिखेर देते हैं, जिससे भूसे में गोबर मिल जाता है। गौशाला में एक तरफ गायों का गोबर महीनों से सड़ रहा है, जिससे उससे उठने वाली दुर्गंध भी बेचैन करती रहती है।
गौशाला के बाड़े में खड़ी गायें। यहां कीचड़ और गोबर होने से गाय बैठ नहीं पाती हैं।
बैठने तक को नहीं जगह
गौशाला में गायों को खुले में रखा गया है। बारिश के सीजन में गीली मिट्टी के कारण कीचड़ हो गया है, जिससे गायें दिन-दिन भर खड़ी रहती हैं। कीचड़ में बैठ नहीं सकतीं, लिहाजा खड़े-खड़े ही कई गाय भूख व प्यास से दम तोड़ देती हैं। गौशाला में करीब आधा सैकड़ा ऐसी गाय हैं, जो एक्सीडेंटल बताई जा रही हैं। इन गायों का इलाज भी नहीं कराया गया है।
208 गाय पर एक गौसेवक
गौशाला के एक गौ सेवक दयाल सिंह सिकरवार ने बताया कि ढाई हजार गायों पर केवल 12 गौसेवक नियुक्त हैं। ऐसे में 208 गायों की देखरेख के लिए एकमात्र गौ सेवक। इन सेवक को महीने का नौ हजार रुपए का मानदेय दिया जाता है। इन लोगों का तर्क है कि गौ सेवक बढ़ा दिए जाए, तो व्यवस्था में सुधार हो सकता है।
पहले मर चुकी हैं 200 गायें, कांग्रेस ने उठाया था मुद्दा
करीब 8 महीने पहले गौशाला संचालकों ने करीब 200 गायों को गड्ढा खोदकर गाढ़ दिया था। बाद में यह मामला खुला, तो जनता के साथ-साथ कांग्रेसियों ने इसे मुद्दा बनाकर प्रदर्शन कर विरोध किया था। मामला खुलने के बाद नगर निगम आयुक्त संजीव जैन ने गौशाला को करहधाम महाराज के हवाले कर दिया था। कुछ दिनों तक सब ठीक-ठाक रहा, लेकिन बाद में फिर वही स्थिति निर्मित हो गई। अब गौशाला में गायों के तड़पने का भूखों मरने व तड़पने का सिलसिला शुरू हो गया।
गौशाला में कीचड़ और गोबर के बीच भूसा डाल दिया जाता है।
3 करोड़ सालाना का है बजट
इस गौशाला का सालाना बजट तीन करोड़ रुपए हैं, जो निगम की जेब से जाता है। हालांकि निगम का कहना है कि इस साल उन्होंने बजट की व्यवस्था इधर-उधर से की है, लेकिन फिर भी गौशाला का महीने का खर्च 25 लाख रुपए है।
संसाधन की कमी
निगमायुक्त संजीव जैन का कहना है कि गौशाला का महीने का खर्चा 25 लाख रुपए है, जिसकी व्यवस्था हम लोग करते हैं। गायों के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर रहे हैं। यह सही है कि मानव संसाधन की कमी है।
देवरी गौशाला में सैकड़ों गायों की मौत:गायों को गड्ढे में डालकर दफनाया, भूख से मरीं, निगम प्रशासन ने कहा-हर माह दे रहे 20 लाख का भूसा
खबरें और भी हैं…