MP में कागजों में बांटा 110 करोड़ का राशन: CAG रिपोर्ट में खुलासा, बाइक और कार को बताया ट्रक; सरकार बोली- रिपोर्ट अंतिम सत्य नहीं


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भोपालएक घंटा पहले

मध्यप्रदेश में टेक होम राशन और मुफ्त भोजन योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह खुलासा सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक) की रिपोर्ट में हुआ है। सीएजी ने 8 जिलों में सैंपल जांच में पाया है कि वर्ष 2018-21 के दौरान 8 जिलों की 48 आंगनबाड़ियों में रजिस्टर्ड बच्चों से ज्यादा को 110.83 करोड़ रुपए का राशन कागजों में बांट दिया। इतना ही नहीं, इन जिलों में करीब 97 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में बताया था, जबकि करीब 87 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया यानी करीब 10 हजार मीट्रिक टन आहार गायब था। इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है।

प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग 3 साल की उम्र के बच्चों, गर्भवती और 11 से 14 साल तक की स्कूल से बाहर होने वाली लड़कियों को पूरक पोषण आहार के तहत टेक होम राशन बांटता है। रिपोर्ट के अनुसार लाभार्थियों की पहचान, उत्पादन, परिवहन वितरण और टेक-होम राशन के गुणवत्ता के नियंत्रण में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है। ऑडिटर जनरल ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कथित घोटाले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने को कहा है। साथ ही, अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है।

सरकार बोली- यह रिपोर्ट अंतिम सत्य नहींरिपोर्ट पर सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि CAG की रिपोर्ट अंतिम नहीं होती। यह उनकी राय होती है। इसके बाद ऑडिट रिपोर्ट पर राज्य सरकार स्क्रूटनी करती है, इसीलिए इसे अंतिम निष्कर्ष कहना ठीक नहीं है। यह रिपोर्ट जब आती है ,तो अकाउंट सेक्शन की कमेटी होती है, वह इसमें अंतिम निर्णय करती है।

कमलनाथ ने किया ट्वीट

हर काम में भ्रष्टाचार व घोटाले होना आम बात: कमलनाथ

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि अब शिवराज सरकार में पोषण आहार घोटाला सामने आया है। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में हर योजना में, हर काम में भ्रष्टाचार व घोटाला आम है। जहां घोटाला हुआ है, वह विभाग मुख्यमंत्री के पास है, टेक होम राशन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। एक तरफ तो मध्यप्रदेश वर्षों से कुपोषण में देश में अव्वल है। दूसरी तरफ पोषण आहार के नाम पर इस तरह का फर्जीवाड़ा, इस सरकार की सोच व नीयत बता रहा है। इस घोटाले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए।

घटिया सप्लाई करने वाली फर्मों को 238 करोड़ का भुगतानप्रदेश सरकार ने पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच स्वतंत्र लैब से भी कराई है। रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश की विभिन्न फर्मों ने घटिया क्वालिटी का करीब 40 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार बांटा है। इसके एवज में अफसरों ने करीब 238 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया। लेकिन घटिया क्वालिटी का पोषण आहार सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों से इस संबंध में कोई पूछताछ भी नहीं की गई।

8 जिलों में सैंपल जांचसीएजी ने धार, मंडला, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना, मंडला और शिवपुरी जिले की आंगनबाड़ियों में सैंपल जांच की थी। इसमें पाया गया कि पोषण आहार स्टॉक में 97 हजार मैट्रिक टन में से 87 हजार मीट्रिक टन बांट दिया। यानी 10 हजार टन गायब था। इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है। इसी तरह 6 फर्मों से 6.94 करोड़ का राशन का परिवहन बाइक, ऑटो और टैंकर से होना पाया गया है। यहां 4.95 करोड़ का 821.8 टन राशन की नकली आपूर्ति का संदेह होना बताया गया है।

ऐसे पकड़ में आया घोटाला2018-19 में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूल से बाहर लड़कियों की संख्या 9 हजार होने का अनुमान लगाया था, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने 36.08 लाख मान लिया। दरअसल, महिला एवं बाल विकास विभाग को स्कूल नहीं जाने वाली छात्राओं की संख्या का बेसलाइन सर्वे करना था। इसके आधार पर राशन बांटा जाना था, लेकिन यह सर्वे नहीं किया गया। स्कूल शिक्षा विभाग के 9 हजार बच्चों की संख्या को दरकिनार कर सर्वे के 36 लाख से ज्यादा संख्या मान ली गई।

दो विकासखंडों में स्टॉक रजिस्टर ही नहींशिवपुरी जिले के दो विकासखंडों खनियाधाना और कोलारस में सिर्फ आठ महीने के अंदर पांच करोड़ रुपए के पोषण आहार का भुगतान स्वीकृत कर दिया गया। इनके पास स्टॉक रजिस्टर तक नहीं मिला। इसके चलते पोषण आहार के आने-जाने की कोई एंट्री या पंचनामा नहीं मिला है। इतना ही नहीं, बिना किसी प्रक्रिया के अधिकारियों ने फर्मों को पूरा भुगतान तक कर दिया है।

58 करोड़ का नकली उत्पादनरिपोर्ट के अनुसार 58 करोड़ का नकली उत्पादन किया गया। धार, मंडला रीवा सागर और शिवपुरी में यह गड़बड़ी देखने को मिली है। यहां चालान जारी करने की तारीख पर टेक होम राशन के स्टॉक नहीं होने के बाद भी 822 मीट्रिक टन राशन की सप्लाई बता दी गई। मतलब जो था नहीं उसे भी बांट दिया गया।

क्लैरिकल मिस्टेक बता रही सरकारमाल की ढुलाई के लिए जिन गाड़ियों को ट्रक बताया गया है, वह बाइक और ऑटो के नंबर हैं। सरकार इसके लिए क्लैरिकल (लिपिकीय) त्रुटि को जिम्मेदार बता रही है। एमपी एग्रो की जांच में पाया गया कि एमपी जीएफ 9139 को एमपी-04 और एमपी 09 एचजी 9555 को 9559 के रूप में लिस्टेड किया था। वहीं, घटिया राशन पर सरकार ने कहा है कि इसे प्रयोगशाला में भेजा गया था, जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद भुगतान में 15% या 38 करोड़ रुपए काटे गए हैं।

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