Hindi NewsLocalMpUjjainMoney Will Start Coming In The Accounts Of Binod Mill Workers By The End Of September, The List Will Be Issued From Here By The Liquidator
उज्जैनएक घंटा पहले
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मई में शासन ने बकाया भुगतान के 89.1 करोड़ हाई कोर्ट में जमा करवा दिए थे।
बिनोद मिल के श्रमिकों का वर्षों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। यानी सितंबर के अंत तक ही श्रमिकों के खातों में उनके बकाया भुगतान की राशि आने लगेगी। एक साथ सभी श्रमिकों के खातों में भुगतान नहीं आएगा। जिन-जिन श्रमिकों के क्लेम प्रकरण क्लियर होते जाएंगे, उनके नामों की सूची परिसमापक द्वारा जारी की जाती रहेगी और उन्हीं के खातों में पैसा आता जाएगा। यही प्रक्रिया सभी श्रमिकों के संपूर्ण भुगतान के अंत तक जारी रहेगी।
शासन-प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में श्रमिकों के बकाया भुगतान के 89 करोड़ 1 लाख रुपए मई 22 में हाई कोर्ट में जमा करवाए थे, तब उम्मीद की जा रही थी कि कागजी कार्रवाई के बाद जून-जुलाई से श्रमिक व उनके आश्रितों के खातों में पैसा आने लगेगा लेकिन इस बीच परिसमापक का तबादला हो गया। इससे प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई।
प्रत्येक श्रमिक के प्रकरण की संपूर्ण जांच में भी वक्त लग रहा है। हालांकि अब अच्छी खबर यह कि चालू माह यानी सितंबर के ही अंत तक श्रमिकों के खातों में बकाया भुगतान की राशि आने लगेगी। गौरतलब है कि 4353 श्रमिकों के इस भुगतान के लिए मिल मजदूर यूनियन 31 वर्ष तक विभिन्न स्तरों पर लड़ाई लड़ती आ रही है।
4353 में से 1900 श्रमिकों के प्रकरण भुगतान की प्रक्रिया में पहुंचेयूनियन के कोषाध्यक्ष संतोष सुनहरे ने बताया कि 4353 में से करीब 1900 श्रमिकों के प्रकरण यूनियन ने सभी दस्तावेजों के साथ भुगतान के लिए एडवोकेट के जरिए परिसमापक तक पहुंचा दिए हैं। परिसमापक अपने स्तर पर इनकी जांच कर रहे हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इन 1900 में से जिन श्रमिकों के पहले चरण में सभी जांच के बाद प्रकरण क्लियर हो गए हैं। सितंबर अंत तक उनकी सूची परिसमापक जारी करेंगे और उनके खातों में पैसा आ जाएगा। औसतन प्रति श्रमिक 2 से 4 लाख रुपए तक भुगतान आएगा। शेष श्रमिकों के प्रकरण भी यूनियन के जरिए आगे बढ़ाने का काम चल रहा है।
1912 में मिली थी मिल के लिए जमीन, इसमें फौजियों के लिए यूनिफार्म व अन्य कपड़ा तैयार होता था
बिनोद मिल के लिए 1912 में सिंधिया स्टेट ने राय बहादुर सेठ लालचंद सेठी को सशर्त जमीन दी थी। सेठी के निधन के बाद उनके पुत्र भूपेंद्र व तेजकुमार ने मिल का संचालन किया। मिल में सेठी का बंगला भी था। इसमें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पं. जवाहरलाल नेहरू भी रात्रि विश्राम कर चुके थे।
इस मिल में सैनिकों-फौजियों के लिए यूनिफार्म व अन्य कपड़ा तैयार होता था। मिल में 5000 से लेकर बदलीदार सहित 6500 तक मजदूर कार्य करते थे। संचालकों ने मिल को 1991 में ही बंद कर दिया था। पहले से ही यूनियन की तरफ से मजदूरों के बकाया भुगतान के लिए बी एफआईआर में केस लड़ा जा रहा था। ईएफआईआर में भी प्रकरण पहुंचा। यहां के बाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। (जैसा मिल मजदूर यूनियन पदाधिकारियों ने बताया)
क्रम से सभी के खातों में पैसे आएंगे
पूरी उम्मीद है कि सितंबर के अंत तक श्रमिकों की पहली सूची जारी हो जाएगी और उनके खातों में पैसा भी आ जाएगा। इसके बाद लगातार सूची जारी होती रहेगी और क्रम से सभी के खातों में पैसे आते रहेंगे।ओमप्रकाश भदौरिया, अध्यक्ष, मिल मजदूर यूनियन
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