मंडला में सभापतियों का चुनाव निरस्त: कांग्रेस ने कमिश्नर पर लागाए लोकतंत्र की हत्या के आरोप, उच्च न्यायालय में करेंगे अपील

मंडला7 घंटे पहले

मंडला जिला पंचायत में बुधवार को होने वाले स्थायी समितियों के सभापति का चुनाव संभागीय कमिश्नर ने निरस्त कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस और निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों ने सभापति के चुनाव निरस्त होने का जमकर विरोध किया। और अतिरिक्त कार्यपाल अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर दस्तावेजों की मांग की है।

जिला पंचायत के नवनिर्वाचित कांग्रेस और कुछ निर्दलीय सदस्यों ने भाजपा और कमिश्नर जबलपुर पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है। सदस्यों का आरोप है कि भाजपा व केंद्रीयमंत्री के दबाव में कमिश्नर ने जिला पंचायत की समितियों के सभापति का चुनाव निरस्त कर दिया। सदस्यों का कहना है कि जब कमिश्नर ने 21 सितंबर को सभापतियों के चुनाव की तारीख नियत की थी तो क्या कारण है कि अचानक एक ही दिन में चुनाव स्थगित कर दिए गए।

उच्च न्यायालय की शरण में जायेगी कांग्रेस

कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश तिवारी ने इसे सत्ता बल का दुरुपयोग बताया और कहा कि समितियों में सभापति बनाने के लिए भाजपा के सभी हथकंडे फेल हो गये तो उन्होंने कमिश्रर के ऊपर सत्ता का दबाव बनाकर ये स्थगन जारी करवाया है। उन्होंने कहा कि हम इसकी घोर निंदा करते हैं और सभी दस्तावेज इकट्ठा​​ कर उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगाएंगे।

कमिश्रर के निर्णय पर उठे सवाल

जिला पंचायत सदस्य भूपेंद्र वरकड़े ने कमिश्रर के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब यहां से प्रक्रिया पूर्ण कर उन तक जानकारी भेजी गई थी तब उन्होंने अवलोकन कर सही गलत का निर्णय क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज मंडला के लिए काला दिन है कि यहां सत्ता पक्ष के द्वारा प्रशासन की मिलीभगत से लोकतंत्र को शर्मसार और तार-तार किया जा रहा है।

वहीं जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएस मरावी का कहना है कि आज सभापतियों के चुनाव होना था मगर स्थगन आदेश आने के बाद चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा है कि ये न्यायालयी प्रक्रिया है अब जो आदेश आएंगे उनका पालन किया जाएगा।

गौरतलब है कि हाल ही सम्पन्न हुए जिला पंचायत के चुनावों में भाजपा व गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन के बाद भाजपा के संजय कुशराम अध्यक्ष और गोंगपा के कमलेश उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। अब कांग्रेस और निर्दलीय सदस्यों का आरोप है कि भाजपा खरीद फ़रोख़्त, प्रलोभन और पद का दुरुपयोग कर अपने सदस्यों को समितियों का सभापति बनाना चाहते है जो स्वस्थ लोकतंत्र की हत्या है ।

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