बैतूलएक घंटा पहले
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नगरपालिका ने स्वच्छता की रैंकिंग में सुधार लाने और अपने नंबर बढ़ाने के लिए शहर में नाडेप टांके तो बनवा दिए लेकिन इन टांकों में खाद निर्माण होने की जगह पौधे उग रहे हैं। दरअसल नपा द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने और इन्हें लावारिस छाेड़ने से यह स्थिति बन रही है। कचरे का निपटारा करने और रैंकिंग में सुधार लाने नपा ने बीते 6 सालों में ट्रेंचिंग ग्राउंड, नेहरू पार्क के तीन नाडेफ टांकों, काेठी बाजार के कचरा वाहनों के यार्ड के टांकों में पौधे उग आए हैं।
नपा ने शहर में 12 नाडेप टांके कचरे से खाद बनाने के लिए बनवाए थे। कई जगह कतार में नाडेप टांके बनवाए हैं, कई जगह सिंगल नाडेप टांके बनवाए हैं। इन टांकों के ऊपर शेड बनाया गया है जिससे कि इनमें पानी की बौछारें नहीं जाएं। एक टांका 80 हजार रुपए की लागत से बनवाया है। इस तरह नपा ने 9 लाख 60 हजार रुपए का खर्च इन टांकों को बनवाने पर किया है।
क्या है नाडेप विधिइस विधि में वायु संचार प्रोसेस के जरिए हरे पत्तों जैसे कचरे से 90 से 120 दिनों में खाद तैयार की जाती है। इसके लिए गोबर, बायोमास यानी पेड़-पौधों की पत्तियों जैसे कचरा और बारीक मिट्टी की जरूरत पड़ती है। इस विधि से तैयार की गई खाद में 0.5 से 1.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.5 से 0.9 प्रतिशत फास्फोरस और 1.2 से 1.4 प्रतिशत पोटाश तथा अन्य सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं।
ऐसे बनाएं पक्का नाडेप
ईटों की सहायता से पक्का नाडेप बनाया जाता है. ईटों को जोड़ते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तीसरे, छठे और नौवे रद्दे में मधुमक्खी के छत्ते के समान 6 बाय 7 के छेद छोड़ दिए जाते हैं। इन छिद्रों की सहायता से आसानी से हवा मिल सके। एक पक्के नाडेप या टांके से साल में तीन बार खाद तैयार की जा सकती है।
सफाई कराकर व्यवस्था बनवाएंगे”नाडेप टांकों की सफाई करवाकर पेड़- पौधे हटवाए जाएंगे। इनमें ताजा कचरा डलवाया जाएगा। यहां बन रही खाद को पेड़ – पौधों और पार्क में डलवाने की व्यवस्था बनवाई जाएगी।”- अक्षत बुंदेला, सीएमओ, नगर पालिका
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